चार दिन से रोमानिया सीमा पर फंसा पंजाब का सिमरनजीत हुआ बीमार, पिता ने कहा- 'दूतावास ने नहीं ली सुध'
पिछले चार दिनों से गुरदासपुर का एक छात्र रोमानिया सीमा पर बीमार पड़ा है।
पिछले चार दिनों से गुरदासपुर का एक छात्र रोमानिया सीमा पर बीमार पड़ा है। बच्चे के पिता का कहना है कि गुरदासपुर से सांसद सनी देओल ने उनके परिवार से संपर्क तक नहीं किया। ओंकार नगर, नवी आबादी निवासी परमजीत कुमार जो पुलिस कर्मचारी है और इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं, ने बताया कि उनका बेटा सिमरनजीत कलश यूक्रेन की मेडिकल यूनिर्वसिटी में पढ़ रहा था। यह उसका चौथा साल था पर रूस और यूक्रेन में युद्ध छिड़ गया। उन्होंने बताया कि उनका बेटा पिछले चार दिनों से रोमानिया सीमा पर फंसा है। बर्फबारी के चलते वह काफी बीमार हो गया है। बुखार और ठंड से बुरी तरह प्रभावित सिमरनजीत दिक्कत में है। इस बारे में दूतावास की ओर से कुछ खास मदद नहीं की जा रही है।
उन्होंने बताया कि सिमरनजीत के साथ करीब 14-15 और छात्र-छात्राएं हैं जो निजी कैब कर वहां चार दिन पहले पहुंचे थे लेकिन दूतावास की ओर से न कोई सहयोग किया जा रहा है और न रोमानिया सीमा को पार करने दिया जा रहा है। परमजीत कुमार ने बताया कि इस बारे में उनकी ओर से विदेश मंत्रालय और ऑपरेशन गंगा पर भी ट्वीट कर भारत सरकार से मदद की अपील की गई। अभी तक किसी ने कोई सुध नहीं ली है और कोई हल भी नहीं निकला है।
उन्होंने गुरदासपुर के डीसी की ओर से आयोजित जूम मीटिंग में गुहार लगाई गई तो उन्हें आश्वासन मिला। आपको बताते चलें कि सोमवार को गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद इशफाक ने इस मसले के बारे में एक ट्वीट ऑपरेशन गंगा पर किया। पूरे मामले पर वह बेहद संवेदनशील हैं। इस बारे में डीसी से बात नहीं हो पाई और उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।
हेल्पलाइन जुटा रही डाटा
यूक्रेन में फंसे छात्रों की सूचना उनके परिजनों तक पहुंचाने के लिए स्थापित हेल्पलाइन फिलहाल छात्रों की सूचना एकत्र करने करने में जुटी है। हेल्पलाइन के माध्यम से छात्रों का डाटा तैयार किया जा रहा है। यूक्रेन में फंसे छात्रों के परिजनों का आरोप है कि वहां उनके बच्चों को पेश आ रही मुश्किलों के बारे में हेल्पलाइन पर शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
अपना नाम न छापने की शर्त पर सरकार के विभिन्न विभागों में तैनात अभिभावकों ने बताया कि उन्हे बताया गया था कि कई स्तर पर हेल्पलाइन नंबर दिया गया है, जिससे उनको बच्चों के बारे में सही जानकारी प्रदान की जा सके। रोजाना जिला और राज्य स्तर से फोन आ रहे हैं। बच्चों से जुड़ी जानकारी मांगी जाती है।
बच्चों के हालात, मुश्किलें और उनकी लोकेशन पूछी जाती है। बच्चे किस हाल में हैं, यह जानकारी हेल्पलाइन से नहीं मिल पा रही है। उनके बच्चे भारी बमबारी के बीच बंकरों में छिपे हैं। खारकीव में एक युवक की मौत ने उन्हें बेहद विचलित कर दिया है और उनके मन में कई तरह के डरावने ख्याल आ रहे है। परिजनों ने बताया कि उनके बच्चे कीव, खारकीव व रोमानिया सीमा पर फंसे हैं।