पंजाब बिजली संकट से खुद उबरेगा, नहीं मिल रहा केंद्र से अतिरिक्त कोयला, अब बायोमास पेलेट का उपयोग करेगा पंजाब
कोयले की कमी और बिजली संकट से उबरने के लिए अब पंजाब खुद प्रयास करेगा।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोयले की कमी और बिजली संकट से उबरने के लिए अब पंजाब खुद प्रयास करेगा। कोयले की कमी को देखते हुए सूबा कोयला आधारित संयंत्रों में बायोमास पेलेट का उपयोग करने की तैयारी कर रहा है। साथ ही कोयले की कुल मांग का 10 प्रतिशत विदेश से मंगवाने का भी प्रयास कर रही है।
पंजाब इन दिनों बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है। बिजली की बढ़ती मांग और कोयला संकट के बीच राज्य सरकार द्वारा केंद्र से अतिरिक्त कोयला आवंटन करने की मांग की गई थी। केंद्र ने राज्य को झटका देते हुए मांग को खारिज कर दिया है। केंद्र ने राज्य से खुद बिजली संकट से उबरने के लिए काम करने के लिए कहा है। इसके बाद अब पंजाब सरकार कोयला आधारित संयंत्रों में 5 से 7 प्रतिशत बायोमास पेलेट का उपयोग करने की तैयारी में जुट गई है। इसके साथ ही देश के अन्य सभी राज्यों की तरह कैप्टिव कोयला खदान को चालू करने की भी सरकार की ओर से तैयारी की जा रही है। पीएसपीसीएल के प्रयासों से पचवारा में राज्य की कैप्टिव कोयला खदान जून में चालू कर दी गई है।
एक अन्य विकल्प पर अक्षय ऊर्जा आधारित बिजली को कोयला आधारित उत्पादन के साथ जोड़ने का भी काम करने की सरकार योजना बना रही है। पंजाब को कोयले की अपनी वार्षिक मांग का अधिकतम 10 प्रतिशत आयात करके और इसे घरेलू कोयले के साथ मिलाने पर भी विचार कर रहा है।
क्या होता है बायोमास पेलेट
बायोमास पेलेट बायोमास ईंधन का एक प्रकार हैं, जो आमतौर पर लकड़ी के अपशिष्ट, जंगलों से मिलने वाले अवशिष्ट आदि से बनाया जाता हैं। वहीं को-फायरिंग का मतलब बिजली के उत्पादन के लिए कोयले और बायोमास ईंधन के मिश्रण के दहन से है।
फिर से करनी होगी गुजरात से बात
पंजाब ने गुजरात पावर लिमिटेड टाटा मुंद्रा प्लांट के साथ बिजली खरीद समझौता किया था। 2021 सितंबर में इस निजी संयंत्र ने पंजाब को 475 मेगावाट की आपूर्ति बंद कर दी थी। इसके पीछे की वजह बढ़ती कोयले की कीमतों को बताया गया था। अब इस संकट के समय में पंजाब को फिर से गुजरात के इस निजी संयंत्र से बात करनी होगी।