नशा छुड़ाओ केन्द्र में पुलिस ने की रेड, युवाओं को किया रेस्क्यू

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Update: 2022-11-03 12:08 GMT
मोगा। पंजाब में नशे की दलदल में फंसे युवकों को निकालने के लिए कुछ व्यक्तियों द्वारा उन्हें अपने जाल में फंसाकर भारी पैसे ऐंठे जा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला मोगा जिले के गांव राजेयाना के पास बने नशा छुड़ाओ केन्द्र का सामने आया है। मोगा पुलिस द्वारा गुप्त सूचना के आधार पर गांव राजेयाना के पास बिना लाइसैंस के चल रहे नशा छुड़ाओ केन्द्र पर छापामारी करके वहां दाखिल कई युवकों को वहां से निकालकर उन्हें सिविल अस्पताल मोगा दाखिल करवाया। इस संबंध में जानकारी देते हुए डी.एस.पी. बाघापुराना जसजोत सिंह तथा थाना प्रभारी जतिन्द्र सिंह ने बताया कि उन्हें गुप्त सूत्रों से जानकारी मिली थी कि गांव राजेयाना के पास कुछ व्यक्ति बिना लाइसैंस के न्यू-वे नशा छुड़ाओ तथा कौंसलिंग सैंटर के नाम पर अपना नशा छुड़ाओ केन्द्र चला रहे हैं। उनके पास कोई लाइसैंस भी नहीं है और वहां कई युवक नशा छुड़वाने के लिए उन्होंने दाखिल किए हुए हैं। इस नशा छुड़ाओ केन्द्र पर पुलिस पार्टी ने छापामारी की। उन्होंने बताया कि उक्त नशा छुड़ाओ केन्द्र का मुख्य संचालक सुखवंत सिंह है, जिसके पास पहले मंजूरशुदा लाइसैंस था, लेकिन जिसे उसने वैद्यता खत्म होने के बाद रिन्यू नहीं करवाया और वह गैरकानूनी ढंग से ही अपना धंधा चला रहे हैं और नशे की दलदल में फंसे युवकों को अपने नशा छुड़ाओ केन्द्र को सरकार से मान्यता प्राप्त बताकर दाखिल कर उनसे मोटे पैसे ऐंठ रहे हैं। इस तरह वह युवकों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गांव के लोगों ने भी इसकी शिकायत की थी कि रात को उक्त नशा छुड़ाओ केन्द्र से चीखने चिल्लाने की आवाजें आती है, जिस कारण लोग भी बहुत दुखी हैं। उन्होंने कहा कि उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुए छापामारी कर वहां दाखिल युवकों से पूछताछ करने के बाद नशा छुड़ाओ केन्द्र के संचालक सुखवंत सिंह बराड़ निवासी गांव राजेयाना, हरसिमरन सिंह निवासी बाघापुराना तथा नहल सचदेवा निवासी प्रेम नगर मोगा के खिलाफ धारा 420, 342 के तहत मामला दर्ज कर नहल सचदेवा को काबू कर लिया। जबकि दूसरे कथित आरोपियों की गिरफ्तारी बाकी है। जानकारी के अनुसार पुलिस ने कुल 30 युवकों का रैस्क्यू किया था जिनमें से 7 को घर भेज दिया गया है। बाकी को सिविल अस्पताल मोगा में दाखिल करवाया गया है। इन युवकों में से 10 के करीब युवक बिना बताए ही वहां से चले गए। इस संबंध में जब सिविल अस्पताल प्रशासन से बात की तो उन्होंने कहा कि किसी भी युवक को धक्के से नहीं रखा जा सकता। जो युवक यहां आए थे, उनका प्रारंभिक इलाज किया गया और उन्हें दवाइयां दी गईं, क्योंकि वह युवक बता रहे थे कि उन्हें बहुत दर्द हो रहा है। उन्होंने कहा कि उक्त सैंटर सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं था। थाना प्रभारी जतिन्द्र सिंह ने बताया कि वह मामले की जांच कर रहे हैं और केन्द्र के संचालक तथा उसके अन्य साथियों को काबू करने के लिए छापामारी की जा रही है।
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