विपक्षी नेता SYL पर अपनी गलतियां न भूलें, पंजाब नहीं देगा एक बूंद भी पानी : भगवंत मान
चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष सुनील जाखड़, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर राजा वड़िंग और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा को आज नसीहत दी कि वे सतलुज-यमुना सम्पर्क (एसवाईएल) नहर मसले पर मगरमच्छी आँसू बहाने से पहले वे अपने पूर्व नेताओं की पंजाब के साथ की गई कथित गद्दारी को ज़रूर याद रखें।
सीएम मान ने बुधवार को इन नेताओं पर हमला बोलते हुये कहा कि वे राज्य के लोगों को गुमराह करने के लिए नौटंकी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सर्वविदित है इन नेताओं के पुरखों ने एसवाईएल नहर मामले में ऐसे गुनाह किये हैं जो माफी योग्य नहीं हैं। इन्होंने कथित तौर पर पंजाब और यहाँ की नौजवान पीढ़ी के रास्ते में काँटे बो दिये हैं। इन नेताओं ने कहा कि अपने निजी लाभ के ख़ातिर इन नेताओं ने इस नहर के निर्माण के लिए न केवल सहमति दी बल्कि इसके लिये योजना बना कर इसे लागू भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कपूरी में एसवाईएल नहर के निर्माण की शुरुआत की थी और उस मौके पर कैप्टन अमरिन्दर सिंह के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री बलराम जाखड़ (सुनील जाखड़ के पिता) भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवी लाल ने इस नहर के सर्वेक्षण की अनुमति देने के लिए उस समय के पंजाब के पूर्व प्रकाश सिंह बादल की प्रशस्ति में कसीदे गढ़े थे। उन्होंने कहा कि ये नेता राज्य के साथ किये गये द्रोह के लिए जिम्मेदार हैं और पंजाबियों की पीठ में छुरा घोंपने वाले इन नेताओं को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।
श्री मान ने शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को एक नवम्बर को एसवाईएल नहर मसने पर होने वाली बहस में गुरुग्राम में ओबराय होटल के दस्तावेज़ भी लाने को कहा। उन्होंने इन नेताओं को बहस में नदी जल समझौते के दस्तावेज भी लाने की चुनौती दी जो विपक्षी दलों के नेताओं ने सत्ता में रहते हुये राज्य के लोगों को कथित तौर पर धोखा देकर किए थे। उन्होंने कहा कि बहस में इस मुद्दे पर लोगों के सामने दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा और यह भी सामने आ जाएगा , किसने कब-कब देश से धोखाधड़ी की।
उन्होंने कहा कि विपक्ष को ललकारते हुए कहा, “पंजाब के पानी का वे चिंता न करें क्योंकि मेरे पिता बचपन में ही मुझे अपने खेतों का पानी बचाने का जि़म्मा सौंप देते थे। परमात्मा की मेहर और लोगों के विश्वास से मेरा कर्तव्य अब सतलुज नदी का पानी बचाना है जिसे मैं जी-जान से निभाउंगा।’ उन्होंने कहा कि पंजाब के पास किसी अन्य राज्य को देने के लिए एक बूँद भी अतिरिक्त पानी नहीं है और वह हर हाल में पंजाब के पानी की रक्षा करेंगे। ”