सांसद हरसिमरत कौर बादल ने की आगामी संसदीय चुनाव से पहले महिला आरक्षण विधेयक लागू करने की मांग

Update: 2023-09-21 05:22 GMT
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की वरिष्ठ नेता और बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने आगामी संसदीय चुनाव से पहले महिला आरक्षण विधेयक लागू करने की मांग की। उन्होंने सवाल उठाया है कि अगर परिसीमन को पांच से सात साल बाद लागू किया जाना है तो इस विधेयक को आगामी संसदीय चुनाव से पहले संसद में पेश करने की क्या जरूरत है?
बुधवार को संसद में महिला आरक्षण विधेयक पर बोलते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इस विधेयक के कार्यान्वयन में सालों की देरी के कारणों को भी महज बहानेबाजी करार दिया। उन्होंने कहा कि अगर देश मिनटों में ‘नोटबंदी’ और लॉकडाउन’ लागू हो सकता है तो वह महिला आरक्षण को तत्काल प्रभाव से लागू क्यों नहीं कर सकते? उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि कोविड महामारी के बहाने जनगणना में दो साल की देरी क्यों हुई जबकि चीन और अन्य देशों में जनगणना का काम किया गया।
उन्होंने कहा कि अब भी इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि जनगणना और परिसीमन कब होगा। उन्होंने केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि जब उसने 2014 में महिला आरक्षण का वादा किया था तो अब विधेयक लाने के पीछे की जल्दबाजी क्या है? बीते साढ़े नौ साल से सरकार क्या कर रही थी? महिला आरक्षण लागू करने के लिए समय सीमा की कमी ने भाजपा सरकार को पिछली सरकारों की तरह कठघरे में खड़ा कर दिया है, क्योंकि पिछली सरकारों ने भी महिलाओं से वोट मांगने के लिए जुमलेबाजी का सहारा लिया था।
पांच साल में महिलाओं पर अपराध 26 फीसदी बढ़ेः हरसिमरत
महिला आरक्षण को समय की मांग बताते हुए हरसिमरत कौर ने कहा कि वैश्विक संकेतकों ने भी इसे तुरंत लागू करने की पुरजोर वकालत की है। उन्होंने बताया कि वैश्विक समानता सूचकांक 2022 ने भारत को 164 देशों में से 122 वां स्थान दिया था, जबकि 2023 की वैश्विक लिंग अंतर रिपोर्ट ने भारत को 146 देशों में भूटान और नेपाल के बाद 127 वां स्थान दिया। पांच साल में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 26 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, फिर भी इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा, ‘हमने देखा है कि कैसे मणिपुर सामूहिक दुराचार मामले में तीन महीने तक कोई कार्रवाई नहीं की गई और केंद्र सरकार ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद अपनी चुप्पी तोड़ी।’
Tags:    

Similar News

-->