Ludhiana: कारोबारी बढ़ते चीनी आयात से चिंतित

Update: 2024-07-02 12:27 GMT
Ludhiana,लुधियाना: भारत सरकार द्वारा मेक इन इंडिया अभियान की सफलता के दावों के बीच चीन से आयात के आंकड़ों में लगातार हो रही वृद्धि ने शहर के कारोबारियों को चिंता में डाल दिया है। 2021-22 में चीन से आयात 7 लाख 5 हजार करोड़ रुपये, 2022-23 में 7 लाख 91 हजार करोड़ रुपये और 2023-24 में यह आंकड़ा 8 लाख 43 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया। ऑल इंडस्ट्रीज ट्रेड फोरम (AITU) के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने कहा कि एक तरफ जहां पिछले वित्तीय वर्ष में देश के कुल आयात में तीन फीसदी की कमी आई है, वहीं चीन से आयात में सात फीसदी की वृद्धि साबित करती है कि
सरकार को देश के उद्योगों की कोई चिंता नहीं
है। चीन से आयात का सीधा असर देश के उद्योगों पर पड़ता है। जो उत्पाद देश में ही बनाए जा सकते हैं, उन्हें चीन से आयात किया जा रहा है क्योंकि वे सस्ते हैं।

इन्हें आयात करने के लिए आयातकों द्वारा अंडर-बिलिंग से लेकर हवाला घोटाले तक हर तरह के घोटाले किए जाते हैं। जिंदल ने कहा कि आयात के कारण देश के गारमेंट, इलेक्ट्रॉनिक, साइकिल, मशीन टूल और प्लास्टिक उद्योग मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। स्थिति यह है कि दुनिया में चाय और कॉफी का सबसे बड़ा निर्यातक भारत अब चीन से 705 करोड़ रुपये की चाय और कॉफी आयात कर रहा है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 75 करोड़ रुपये था। इनमें से अधिकांश उत्पाद देश के एमएसएमई उद्योग आसानी से बना सकते हैं, लेकिन सस्ते बैंक लोन और तकनीक के कारण चीन से आने वाले उत्पाद भारत में बने उत्पादों से सस्ते हैं। कीमतों में अंतर के कारण आयातक सस्ती दरों पर सामान खरीदकर मुनाफा कमाते हैं। सरकार भी आयात शुल्क के लालच में इस पूरे खेल को आंखें मूंदकर देख रही है। चीन से होने वाले आयात से जहां देश में व्यापार प्रभावित हो रहा है, वहीं फर्जी बिलिंग का धंधा भी देश में फल-फूल रहा है। जिंदल ने कहा कि अगर सरकार देश के आठ करोड़ एमएसएमई उद्योगों को बचाना चाहती है तो उसे देश में चीन से होने वाले अनावश्यक आयात पर लगाम लगानी होगी।

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