लुधियाना: प्रस्तावित इंडस्ट्रीयल पार्क को लेकर हाई काेर्ट सख्त, पंजाब सरकार को नोटिस जारी
मत्तेवाड़ा जंगल के पास बन रहे मार्डन इंडस्ट्रीयल पार्क योजना को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए.
लुधियाना। मत्तेवाड़ा जंगल के पास बन रहे मार्डन इंडस्ट्रीयल पार्क योजना को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए. पंजाब सरकार को नोटिस आफ मोशन जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई तीन नवंबर, 2022 को होगी। पंजाब सरकार के अलावा यह नोटिस टाउन प्लानर, डीसी लुधियाना और ग्राम पंचायत को भी जारी किया गया है।
एडवोकेट गुरबचन सिंह भाटिया ने बताया कि उन्होंने लुधियाना के गांव सेखेवाल के रहने वाले कश्मीर सिंह की तरफ से हाई कोर्ट में मत्तेवाड़ा जंगल में प्रस्तावित मार्डन इंडस्ट्रीयल पार्क को लेकर याचिका दायर की है। जिसमें कहा गया है कि इस पार्क के लिए अधिग्रहण की गई जमीन की पूरी प्रक्रिया गलत थी। पंजाब सरकार ने सबसे पहले राज्यपाल से जमीन अधिग्रहण के लिए मंजूरी ली थी।
राज्यपाल ने धारा 13 ए के तहत जमीन अधिग्रहण करने की मंजूरी दी थी और लुधियाना के मास्टर प्लान को इस मंजूरी के बाद बदला गया है। हालांकि इससे पहले मास्टर प्लान में इस एरिया को नान मैन्यूफेक्चरिंग जोन रखा गया था। मास्टर प्लान में बदलाव के लिए मांगे गए एतराज को सही तरीके से नहीं सुना गया।
एडवोकेट गुरबचन सिंह भाटिया ने कहा कि इस पार्क के लिए गांव सेखेवाल की 416 एकड़ जमीन को अधिग्रहण किया गया है। जिस समय इस जमीन को अधिग्रहण किया गया उस समय पंचायत को अंधेरे में रखा गया था। डीसी दफ्तर में बुलाकर सरपंच से रजिस्टर पर साइन करवाए गए थे। जैसे इस बात का पता ग्राम पंचायत को लगा था, उन्होंने इस बात का विरोध किया था। अगले दिन ही पंचायत जमीन नहीं बेचने का प्रस्ताव पारित कर दिया था। इसके बावजूद भी सरकार ने जमीन को अधिग्रहण कर लिया। कोरोना महामारी के समय जब सब काम ठप पड़े थे, उस समय रात को 7.30 बजे जमीन की रजिस्ट्री ग्लाडा के नाम की गई थी।
एनजीटी ने मांगी हुई है रिपोर्ट
मार्डन इंडस्ट्रीयल पार्क के खिलाफ लुधियाना के रहने वाले कपिल अरोड़ा, कुलदीप खैहरा सहित चार लोगों ने नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) में केस फाइल किया था। जिसमें कहा गया है कि जिस जगह पर पार्क बनाया जाना है वह जगह बाढ़ मैदान है। अगर सतलुज दरिया में बाढ़ आती है यही मैदान उसके पानी को सहारते हैं। अगर इसी जगह पर पार्क बन गया तो बाढ़ से कैसे निपटा जाएगा। एनजीटी ने इस याचिका पर सुनवाई करते जिला स्तर पर एक कमेटी का गठन किया था। इसमें डीसी, ग्लाडा प्रमुख, डीएफओ और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के एक अधिकारी को रखा गया था।