हरजीत सिंह और परमजीत कौर का छह जुलाई को गांव की पंचायत ने कर दिया था सामाजिक बहिष्कार, अब सरपंच ने लिखित में मानी गलती

Update: 2022-07-12 08:12 GMT
बेटे की करतूत पर माता-पिता के सामाजिक बहिष्कार का फैसला लुधियाना के गांव जौहलां की पंचायत को वापस लेना पड़ा। प्रशासनिक अफसरों के कड़े तेवर देख सरपंच ने लिखित में अपनी गलती मानी और पीड़ित परिवार को सुरक्षा व सहयोग का भरोसा दिया। सरपंच के पति ने गांव की दुकान से उन्हें राशन दिलाया और सभी प्रतिबंध हटाए जाने की जानकारी दी। फैसला वापस होने के बाद पीड़ित परिवार राहत महसूस कर रहा है।
गांव जौहलां निवासी हरजीत सिंह और परमजीत कौर का छह जुलाई को गांव की पंचायत ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया था। इसके बाद उनका जीवन मुश्किल हो गया था। उन पर बेहद कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे। वह न तो गांव की दुकान से राशन ले सकते थे, न डेयरी पर दूध बेच सकते थे। इसके अला किसी से कोई मेलजोल भी नहीं रख सकते थे। इस फरमान के बाद दंपती घर में कैद हो गया था। 11 जुलाई को अमर उजाला ने इस मामले का खुलासा किया तो प्रशासन में हड़कंप मच गया।
लुधियाना की डीसी सुरभि मलिक ने इस पर कड़ा संज्ञान लिया और रायकोट के एसडीएम गुरबीर सिंह को कार्रवाई करने के आदेश दिए। एसडीएम ने पंचायत को अपने कार्यालय में बुलाया और इस गैरकानूनी फैसले को रद्द कराया। सरपंच रंजीत कौर ने लिखित में अपनी गलती मानी और फैसला रद्द करने का प्रस्ताव लेटर हेड पर दिया। सरपंच रंजीत कौर के पति केवल सिंह ने बताया कि कानून की जानकारी न होने के कारण गलती हुई थी, जिसे सुधार दिया गया है। पीड़ित दंपती हरजीत सिंह और परमजीत कौर को गांव की दुकान से राशन दिलवा दिया है। इसके अलावा गांव की डेयरी में दूध बेचने सहित तमाम प्रतिबंधित सहूलियतों को बहाल कर दिया गया है। उधर, डीडीपीओ अमरिंदरपाल सिंह चौहान ने बताया कि बेशक पंचायत ने गैरकानूनी फैसला वापस ले लिया है, इसके बावजूद सरपंच रंजीत कौर से लिखित में स्पष्टीकरण लिया गया है। उन्हें भविष्य में ऐसा कोई भी फैसला न लेने की सख्त चेतावनी भी जारी की गई है।
पीड़ित परिवार ने बिलखते हुए बताया कि वह 10 दिन से खुद को अपमानित महसूस कर रहे थे। दहशत में अपने घर में कैदियों की तरह बंद थे। राशन पानी तक को तरस गए थे। आज सरपंच के पति ने खुद आकर जानकारी दी कि सामाजिक बहिष्कार का फैसला वापस ले लिया गया है। उन्होंने दुकान से राशन भी दिलवाया तथा पंचायत की ओर से लगाए गए सभी प्रतिबंध खत्म करने की सूचना दी। हरजीत सिंह ने रुंधे गले से हाथ जोड़ते हुए कहा कि हमारी पीड़ा को अफसरों तक पहुंचाने के लिए अमर उजाला के शुक्रगुजार रहेंगे। वह 10 दिन से बेहद उपेक्षित जीवन जी रहे थे। अब थोड़ा सुकून महसूस कर रहे हैं।
भाकियू एकता डकौंदा ने एसडीएम कार्यालय पर दिया धरना
भारतीय किसान यूनियन एकता डकौंदा के जिला प्रधान मोहिंदर सिंह कमालपुरा की अगुवाई में यूनियन के कार्यकर्ताओं ने एसडीएम रायकोट के कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया। यूनियन ने प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर पंचायत या उनके किसी नेता कार्यकर्ता पर केस दर्ज किया तो तीखा संघर्ष किया जाएगा। इसके बाद यूनियन के प्रतिनिधिमंडल एसडीएम गुरबीर सिंह कोहली ने मिलने के लिए बुलाया और बंद कमरे में उन्हें मामले की गंभीरता से अवगत कराया। साथ ही इस केस में बनती कानूनी कार्रवाई की जानकारी दी। इसके बाद यूनियन नेताओं के तेवर नरम पड़े और मिलजुल कर सामाजिक बहिष्कार का फैसला वापस लेने पर सहमति बनी।
सरपंच रंजीत कौर ने क्या लिखा
सरपंच रंजीत कौर ने लिखा है कि पंचायत ने जल्दबाजी और तैश में आकर गांव के गुरुद्वारे से हरजीत और परमजीत कौर के परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया था, जो पंचायत के लेटर हेड पर लिखा था, इसे रद्द किया जाता है। शादीशुदा महिला को भगा ले जाने के मामले में उनके बेटे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसमें उसके माता-पिता का कोई कसूर नहीं है। इसलिए गांव में उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाएगा। कोई दुर्व्यवहार नहीं किया जाएगा।
बेटे की करतूत की सजा माता-पिता को
असल में हरजीत सिंह के बेटे पर आरोप है कि वह गांव की एक शादीशुदा महिला को भगा ले गया है। इससे गांव में काफी रोष था। इसी के चलते पंचायत बुलाई गई और गुरुद्वारों के लाउड स्पीकर से परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने की घोषणा कर दी गई। उन पर 15 प्रतिबंध लगाए गए थे। साथ ही उनसे संबंध रखने वाले परिवार से 50 हजार रुपये जुर्माना वसूलने की चेतावनी दी गई थी।
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