चंडीगढ़। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण आत्रेय ने किसानों के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि पड़ोसी राज्यों में किसान की अनदेखी पर चुप्पी साधे रखने वाले स्वयंभू किसान नेता हरियाणा में विपक्ष के इशारे पर राजनीति कर रहे हैं। हरियाणा में किसान सरकार की प्राथमिकता सूची में पहले पायदान पर है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले लगभग साढ़े आठ साल में लगातार यह साबित किया है। प्रदेश के किसान को सशक्त बनाने के लिए कृषि बजट 2014 के मुकाबले 4 गुणा किया। सब्जी और बागवानी के किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए भावांतरण भरपाई योजना में शामिल किया। प्राकृतिक आपदा से फ़सल के नूकसान की भरपाई के लिए मुआवजा राशि को बढ़ाया। आज़ हरियाणा किसानों को मुआवजा देने में देश में पहले स्थान पर है। हरियाणा में 15000/- प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाता है। अब तक दस हजार करोड़ रुपए से ज्यादा मुआवजा दिया जा चुका है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मुआवजे के तौर पर 2 और 5 रुपए के चैक दिये जाते थे। क्या तब इनमें से किसी स्वयंभू किसान नेता ने धरना या प्रर्दशन किया था।
प्रवीण आत्रेय ने कहा कि पहले की सरकारों ने किसान को भगवान् भरोसे छोड़ रखा था। हरियाणा की किसी भी ग़ैर भाजपा सरकार ने कभी किसान का बाजरा, सरसों और सुरजमुखी जैसी फसलों को न खरीदा और न ही भाव कम मिलने पर किसान की सहायता की। परन्तु मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसान की खेती को जोखिम फ्री करने के लिए भावांतरण भरपाई जैसी योजना शुरू की। इस योजना के तहत् बाजार भाव और एम एस पी के अन्तर को सरकार पूरा करती है। इसी योजना के अन्तर्गत मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अंतरिम सहायता के रूप में सुरजमुखी के किसान के खाते में लगभग 29 करोड़ रूपया भेज भी दिया है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल छोटे किसान होने के नाते किसान की दर्द और तकलीफ़ को समझते हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा कुरूक्षेत्र में सुरजमुखी तेल कारखाना लगाने की घोषणा करना, साबित करता है कि मुख्यमंत्री किसान को मजबूत करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जहां मुख्यमंत्री दिन रात किसान के हित में सोचते हुए अलग-अलग योजनाएं बनाते हैं। वहीं कुछ स्वयंभू किसान नेता विपक्ष के इशारे पर धरना प्रदर्शन कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास करते हैं। हरियाणा सरकार द्वारा शुरू किए कार्यों के कारण पड़ोसी प्रदेशों के किसान अपनी फसल बेचने हरियाणा में आने का प्रयास करते हैं। पंजाब और राजस्थान के किसान अपना बाजरा, सरसों और सुरजमुखी हरियाणा में बेचने का प्रयास करते हैं। पंजाब में सुरजमुखी 3500-4000 रूपए में बिक रही है। पंजाब सरकार किसी तरह की सहायता भी नहीं दे रही। हरियाणा में हैफेड 4850/- तथा 1000/- प्रति एकड़ सरकार द्वारा दिया गया है। और घोषणा की गई यह सहायता अंतरिम है यानि आगे बढ़ाई जा सकती है। लेकिन यह स्वयंभू किसान नेता प्रदर्शन हरियाणा में करेंगे। पंजाब और राजस्थान में यह एक शब्द नहीं बोलते। हरियाणा के लोग भी इनकी असलियत को पहचानते हैं।