RERA के खाली पदों की नियुक्ति में देरी, बिल्डर और लोग परेशान

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Update: 2022-10-10 13:07 GMT
चंडीगढ़। हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देने वाला रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) 2 महीने से चेयरमैन के न रहने के कारण नए प्रोजेक्ट्स को मंजूरी नहीं दे रहा है और शिकायतों का समाधान नहीं कर पा रहा है। इससे बिल्डर और लोग परेशान हैं। सीनियर आई.ए.एस. अधिकारी एन.एस कंग ने 10 अगस्त को अध्यक्ष के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया, जबकि एक सदस्य पूर्व डी.जी.पी. संजीव गुप्ता ने भी 20 जून को अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। अब सिर्फ एक सदस्य आई.आर.एस. अधिकारी ए.पी. सिंह रेरा का काम देख रहे हैं। अथारिटी के सभी सदस्य उपलब्ध नहीं होने के कारण परियोजनाओं की मंजूरी अटकी हुई है। 'रेरा' से रजिस्ट्रेशन नंबर तथा सर्टीफिकेट न मिलने कारण कोई भी बिल्डर प्रोजैक्ट शुरू नहीं कर सका।
जिस कारण समस्या आ रही है। रेरा में एक अध्यक्ष, 2 सदस्य, एक सचिव होता है। सेवानिवृत्त आई.ए.एस, आई.पी.एस, सीनियर आई.आर.एस. ने ज्यादातार पदों की जिम्मेदारी दी जाती है। उनकी नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के नेतृत्व में लीगल रीमेंबरैंस (एल.आर.) और राज्य सरकार के सचिव हाऊसिंग कमेटी का गठन किया गया है। अपने वर्तमान स्वरूप में 'रेरा' में कुल 30 लोगों का स्टाफ काम करता है। 'रेरा' में अध्यक्ष और सदस्य का कार्यकाल समाप्त होने के करीब 45 दिन पहले राज्य सरकार नए सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर देती है। उनकी नियुक्ति को लेकर सरकार की ओर से एक विज्ञापन दिया जाता है। नियुक्ति के समय चीफ जस्टिस स्वयं या तो खुद उस द्वारा नियुक्त कोई व्यक्ति होता है परन्तु लेकिन इस बार प्रक्रिया को पूरा करने में देरी हुई है।
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