चंडीगढ़: युवराज सिंह को एससी/एसटी एक्ट में राहत नहीं, हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने की मांग खारिज की

पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में राहत देने से साफ इनकार करते हुए एफआईआर रद्द करने की मांग खारिज कर दी है।

Update: 2022-02-19 03:34 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में राहत देने से साफ इनकार करते हुए एफआईआर रद्द करने की मांग खारिज कर दी है। हालांकिहाईकोर्ट ने उन्हें आंशिक राहत देते हुए एफआईआर से अन्य धाराओं को हटाने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि युवराज सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा153ए और 153बी का मामला नहीं बनता है। ऐसे में इन धाराओं को हटाया जाना चाहिए क्योंकि युवराज ने शांति भंग करने के लिए या किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से कुछ नहीं कहा था। लेकिन उन्होंने जो कहा उसे सुन कर उस जाति के लोगों को दुख पहुंचा और ऐसे में एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में पुलिस निष्पक्षता से जांच जारी रख सकती है।

यह है मामला
एक अप्रैल 2020 को युवराज सिंह सोशल मीडिया पर अपने साथी रोहित शर्मा के साथ लाइव चैट कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने मजाक में अपने साथी कुलदीप यादव को कुछ शब्द कह दिए थे। इन शब्दों को एक जाति विशेष के खिलाफ घृणा वाला बताते हुए हांसी के रजत कलसन ने एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए युवराज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट ने युवराज सिंह को मामले की जांच में शामिल होने का आदेश दिया था। साथ ही पुलिस को आदेश दिया था कि उनके खिलाफ फिलहाल कोई भी कार्रवाई न की जाए। हाईकोर्ट के आदेश के बाद युवराज सिंह जांच में शामिल हो गए थे। 9 दिसंबर को जस्टिस अमोल रतन सिंह ने सभी पक्षों को सुनने के बाद युवराज की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
आदेश में लोगों को सलाह
आदेश में जस्टिस अमोल रतन सिंह ने कहा कि हरिजन, धोबी आदि शब्द का प्रयोग अक्सर और कथित उच्च जातियों के लोगों द्वारा अपमान, गाली और उपहास के रूप में किया जाता है। देश के नागरिकों के रूप में हमें हमेशा मन और दिल में रखना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति या समुदाय का अपमान नहीं किया जाना चाहिए और किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए।
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