चंडीगढ़ में केंद्र सरकार ने लागू किए केंद्रीय सेवा नियम, अधिसूचना जारी

केंद्र सरकार ने मंगलवार देर रात चंडीगढ़ के कर्मचारियों को केंद्रीय सेवा नियम से जोड़ने की अधिसूचना जारी कर दी।

Update: 2022-03-30 05:29 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्र सरकार ने मंगलवार देर रात चंडीगढ़ के कर्मचारियों को केंद्रीय सेवा नियम से जोड़ने की अधिसूचना जारी कर दी। अधिसूचना के अनुसार यह नियम चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर 1 अप्रैल से लागू हो जाएंगे। पहले चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर पंजाब सेवा नियम लागू होते थे, लेकिन बीते रविवार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नियम को बदलकर केंद्रीय सेवा नियम लागू कर दिया था। जिसका पंजाब में जबरदस्त विरोध हो रहा है। मंगलवार को पंजाब के कई सांसदों ने लोकसभा में आवाज उठाई कि इस अधिसूचना को जारी नहीं किया जाए लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी बात को दरकिनार करते हुए मंगलवार देर रात ही अधिसूचना जारी कर दी।

रविवार को अमित शाह ने पुलिस हाउसिंग कांप्लेक्स के उद्घाटन के मौके पर कहा था कि कर्मचारियों की मांगों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंडीगढ़ प्रशासन के सभी कर्मचारियों की सेवा शर्तों को केंद्र की सेवा नियमों के साथ जोड़ने का फैसला लिया है। इससे कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 58 से 60 वर्ष हो जाएगी। शिक्षा विभाग से जुड़े सभी कर्मचारी व अधिकारियों की रिटायरमेंट की आयु 65 साल हो जाएगी। कर्मचारी बाल शिक्षा भत्ते के भी हकदार हो जाएंगे। इसके अलावा केंद्र के कर्मचारियों की तरह चंडीगढ़ की महिला कर्मचारियों को चाइल्ड केयर के लिए दो साल की छुट्टी मिलेगी।
वर्ष 2020 में शुरू हुई थी कवायद, कानूनी राय में मिली थी पंजाब सेवा नियम अपनाने की सलाह
यूटी प्रशासन ने वर्ष 2020 में तीन मुद्दों पर कानूनी राय मांगी थी। इनमें से एक पंजाब सेवा नियम को मानने को लेकर था। दूसरा यह था कि क्या ऐसा हो सकता है कि प्रशासन पंजाब सेवा नियम को ही माने, लेकिन रिटायरमेंट उम्र केंद्रीय सेवा नियम के अनुसार तय हो। इस पर कहा गया कि किसी भी सेवा नियम में से 'पिक एंड चूज' नहीं अपना सकते। अगर अपनाते हैं तो पूरी तरह से अपनाना पड़ेगा। इसके अलावा प्रशासन ने यह भी जानकारी मांगी थी कि क्या चंडीगढ़ के लिए केंद्रीय सेवा नियम को मानना सही होगा। इस पर कानूनी सलाह दी गई थी कि इसे लागू करने में कई तरह की कानूनी अड़चनें हैं, क्योंकि साल 1992 में चंडीगढ़ ने केंद्रीय कैबिनेट से पास होने के बाद पंजाब सेवा नियम को अपनाया था। प्रशासन ने इस कानूनी राय को दिल्ली भेज दिया था और फैसला गृहमंत्री पर छोड़ दिया था।
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