अनंतनाग मुठभेड़: 7 साल का बेटा-डेढ़ साल की बेटी को छोड़ गए पीछे, जुनून से भर देगी शहीद कर्नल मनप्रीत की कहानी
जुनून से भर देगी शहीद कर्नल मनप्रीत की कहानी
पंजाब :जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों से मुठभेड़ में बुधवार को कर्नल मनप्रीत सिंह की मौत हो गई. पंजाब के मोहाली के भरऊजान के रहने वाले कर्नल मनप्रीत के शहादत की खबर जैसे ही गांव में पहुंची पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई. हर कोई नम आंखों से कर्नल की बहादुरी की बातें कर रहा था. अपनी बहादुरी के लिए कर्नल मनप्रीत सिंह को भारतीय सेना ने सेना मेडल से सम्मानित भी किया था.
वहीं 41 साल की उम्र में देश पर कुर्बान होने की खबर सुनकर कर्नल मनप्रीत की मां मनजीत कौर बेसुध हो गईं. उनका रो-रोकर बुरा हाल हो गया है. मां ने बताया कि मनप्रीत बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में अव्वल था. उसकी पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय में हुई थी.
2003 में NDA में हुए थे कमिशन
शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह मूल रूप से पंजाब के मोहाली के न्यू चंडीगढ़ के भरऊजान गांव के रहने वाले हैं. फिलहाल उनका परिवार हरियाणा के पंचकूला के सेक्टर 26 में रहता है. मनप्रीत सिंह 2003 में NDA में कमिशन हुए थे. 2005 में ट्रेनिंग पूरी करके वह सेना में शामिल हुए. वहीं उनकी पत्नी हरियाणा के पंचकूला के मोरनी के सरकारी स्कूल में लेक्चरर हैं. इनका एक सात साल का बेटा और डेढ़ साल की बेटी है.
पिता भी सेना से सिपाही रिटायर हुए थे और बाद में चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी में सिक्योरिटी गार्ड भर्ती हुए. उनकी नेचुरल डेथ के बाद छोटे बेटे संदीप को क्लर्क की नौकरी कंपन्सेट्री ग्राउंड पर मिली. कर्नल मनप्रीत परिवार के बड़े बेटे थे. वह बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे. एनडीए अपने दम पर ही की.
न्यू चंडीगढ़ स्थित गांव में रहते हैं भाई और मां
परिवार में दादा और पिता का सेना से सिपाही का बैकग्राउंड है. कर्नल मनप्रीत के भाई संदीप का भी विवाह चुका है. दो बच्चे हैं और वो अपनी मां के साथ न्यू चंडीगढ़ स्थित गांव के पैतृक मकान में ही रहते हैं. पंचकूला में कर्नल मनप्रीत के ससुर और साढू ने कैमरे पर अभी कुछ भी बोलने से इनकार किया है. खबर लिखे जाने तक कर्नल की पत्नी और बच्चों को अब तक शहादत को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है.
कर्नल मनप्रीत सिंह की पत्नी जगमीत कौर मोरनी में शिक्षिका हैं. वह सात साल के बेटे कबीर और ढाई साल की बेटी वाणी के साथ पंचकूला के सेक्टर-26 में रहती हैं. मनप्रीत की ससुराल भी पंचकूला में ही है.
भारतीय सेना के कई अभियानों का नेतृत्व
दरअसल मनप्रीत सिंह साल 2003 में सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बने थे. इसके बाद 2005 में उन्हें कर्नल के पद पर प्रमोट कर दिया गया था. मनप्रीत सिंह ने देश के दुश्मनों के खिलाफ चलाए गए भारतीय सेना के कई अभियानों का जमकर नेतृत्व किया. कर्नल मनप्रीत सिंह की तैनाकी साल 2019 से 2021 तक सेना में सेकंड इन कमांड के तौर पर थी. बाद में उन्होंने कमांडिंग अफसर के रूप में काम किया.
तीन पीढ़ियों से परिवार कर रहा देश की सेवा
जानकारी के मुताबिक गुरुवार यानी आज शाम चार बजे कर्नल मनप्रीत सिंह का शव मोहाली लाया जाएगा. शहीद कर्नल मनप्रीत के दादा शीतल सिंह, पिता स्व. लखमीर सिंह और चाचा रणजीत सिंह भी भारतीय सेना में अपनी सेवा दे चुके हैं. बता दें कि पिता लखमीर सिंह ने सेना से रिटारमेंट के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में सुरक्षा सुपरवाइजर की नौकरी की थी. वहीं उनकी मौत के बाद उनके छोटे बेटे संदीप सिंह (38) को वहां जूनियर असिस्टेंट की नौकरी मिल गई थी.