Amritsar. अमृतसर: मुसलमानों के धार्मिक मामलों religious affairs of muslims में हस्तक्षेप किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह बात जमीयत-ए-उलमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती मुहम्मद खलील कासमी ने गुरुवार को खैरुद्दीन मस्जिद में प्रेस वार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया जा रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार पर देश में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों को परेशान करने और उनके धार्मिक मुद्दों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया।
समुदाय के लोगों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन demonstration against the government किया। इस अवसर पर मुफ्ती यूसुफ कासमी ने कहा कि जिस तरह सिखों और हिंदुओं की धार्मिक समितियों में कोई मुस्लिम सदस्य नहीं है और न ही किसी मुसलमान की ऐसी इच्छा है, तो फिर यह कैसे हो सकता है कि वक्फ की धार्मिक समितियों में अन्य धर्मों के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया जाए। उन्होंने कहा कि संपत्तियां पूर्वजों की देन हैं और वक्फ की आय कब्रिस्तान, मदरसे, मस्जिद, मुसलमानों की शिक्षा और आर्थिक तरक्की पर खर्च की जाती है। समुदाय के नेताओं ने कहा कि विधेयक पारित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि वे डिप्टी कमिश्नरों के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भी भेज रहे हैं।