20 जिलों में 100 करोड़ रुपये की कृषि मशीनरी गायब होने की रिपोर्ट के बाद पंंजाब सरकार ब्यूरो को घोटाले की जांच सौंपे

20 जिलों में 100 करोड़ रुपये की कृषि मशीनरी गायब होने की एक रिपोर्ट के बाद पंंजाब सरकार (Punjab Government), सतर्कता ब्यूरो (वीबी) को 1,178 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच सौंपने जा रही है.

Update: 2022-08-12 12:02 GMT

20 जिलों में 100 करोड़ रुपये की कृषि मशीनरी गायब होने की एक रिपोर्ट के बाद पंंजाब सरकार (Punjab Government), सतर्कता ब्यूरो (वीबी) को 1,178 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच सौंपने जा रही है. अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि सर्वजीत सिंह ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने वीबी जांच करने के लिए कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री कुलदीप धालीवाल को जांच रिपोर्ट भेज दी है. इससे पहले कृषि सचिव दिलराज सिंह संधावालिया ने भी कहा था कि चूंकि विभाग पहले ही जांच कर चुका है और 100 करोड़ रुपये से अधिक की मशीनें गायब पाई गई हैं, अब सरकारी जांच एजेंसी द्वारा भी की जा सकती है.

बीते सोमवार को सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि राज्य में 11 से 12 फीसदी मशीनरी का पता नहीं चल पाया है और करीब 100 करोड़ रुपये की मशीनरी गायब है. गौरतलब है कि मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद पंजाब सरकार ने 1 जुलाई को केंद्र की सब्सिडी के साथ राज्य भर में खरीदी गई 90,000 मशीनों में से प्रत्येक के ऑडिट और भौतिक सत्यापन का आदेश दिया. अधिकारियों को लाभार्थी का नाम और गांव, किसान को प्राप्त सब्सिडी की राशि, आधार कार्ड नंबर और मशीन के बारे में जानकारी सहित विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था. अधिकारियों को यह भी जांचने के लिए कहा गया है कि मशीन जमीन पर मौजूद थी या नहीं. सत्यापन 15 दिनों के भीतर पूरा किया जाना था.
केंद्र सरकार ने 1,178 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी
गौरतलब है कि पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए केंद्र ने किसानों को अवशेष प्रबंधन योजना के तहत मशीनरी बैंक स्थापित करने के लिए चार वर्षों (2018-19 से 2021-22) में 1,178 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की थी. हालांकि आरोप है कि इनमें से बड़ी संख्या में बैंक कागजों पर ही रह गए और अधिकारियों ने सब्सिडी की राशि का गबन कर लिया.पिछली कांग्रेस सरकार समय पर कार्रवाई करने में विफल रही थी और यह घोटाला अगले तीन वर्षों तक जारी रहा. पूर्व कृषि मंत्री रणदीप नाभा ने दावा किया था कि मशीनरी खरीदने के लिए चार साल के लिए 1,178 करोड़ रुपये की केंद्रीय सब्सिडी दी गई थी. हालांकि, उपकरण कभी नहीं खरीदे ही नहीं गए थे.


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