बूढ़ी मां को नहीं दी खबर, आज शाम तक शिशुपाल का पार्थिव शरीर गांव पहुंचने की उम्मीद

1994 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे शिशुपाल सिंह

Update: 2022-06-22 05:21 GMT
ओडिशा के नुआपाड़ा जिले के पाटधरा रिजर्व फारेस्ट में मंगलवार को नक्सली हमले में सीआरपीएफ के एएसआई शिशुपाल यादव का बलिदान से हर कोई द्रवित है। उनके पैतृक गांव लालगढ़ी में शोक की लहर है। पूरे गांव में गमगीन माहौल है, वहीं उनकी 70 वर्षीय बूढ़ी मां को इसकी खबर तक नहीं दी है। पत्नी और बेटा आगरा में रहते हैं। वह भी दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं।
1994 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे शिशुपाल सिंह
गांव के विपिन चौधरी के मुताबिक शिशुपाल सिंह वर्ष 1994 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। वर्तमान में वह एएसआइ के पद पर थे। ओडीशा में उनकी तैनाती थी। मंगलवार को हुए हमले के बाद इसकी सूचना गांव वालों को शाम को मिली। देखते ही देखते यह बात पूरे गांव में फैल गई। पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया। शिशुपाल ङ्क्षसह के पिता का पहले ही देहांत हो चुका है। उन्होंने आगरा में भी एक मकान बनाया है, जहां उनकी पत्नी प्रवेश देवी और 22 वर्षीय बेटा गुलशन रहता है। छोटा भाई सत्यदेव भी सीआरपीएफ में जवान हैं। गांव वाले घर में उनकी 70 वर्षीय वृद्ध मां रामबेटी ही रहती हैं। ग्रामीणों ने बताया कि शिशुपाल ङ्क्षसह के बलिदान की खबर शाम को मीडिया के माध्यम से मिली तो एक बार को यकीन ही नहीं हुआ। इस खबर के बाद गांव में शोक की लहर डूब गई। गांव के लोगों ने तय किया कि शिशुपाल सिंह की मां को इस बारे में सूचना नहीं देनी है। गांव के नेम ङ्क्षसह और प्रशांत यादव ने बताया कि शिशुपाल सिंह के परिवार और रिश्तेदारों से बातचीत में जानकारी मिली है कि बुधवार की शाम तक उनका पार्थिव शरीर हाथरस लाया जा सकता है। ब्लाक प्रमुख सिकंदराराऊ सुदामा देवी ने भी उनके बलिदान पर शोक जताया है।
इनका कहना है
बड़े भाई शिशुपाल सिंह की पढ़ाई सिकंदराराऊ में हुई थी। वह साइकिल से रोजाना सिकंदराराऊ पढऩे जाते थे। पढ़ाई के समय ही वह होनहार थे। सेना में जाकर उन्होंने क्षेत्र का नाम रोशन किया।
देवेंद्र यादव, गांव के निवासी
शिशुपाल ङ्क्षसह जब भी गांव आते थे तो गांव के युवाओं को प्रेरणा देते थे। उन्हें अच्छी शिक्षा के लिए प्रेरित करते थे। अपने से बड़ो का पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे। उनका बलिदान हमेशा याद खा जाएगा।
- अवधेश यादव, गांव के निवासी
सीआरपीएफ जवान शिशुपाल ङ्क्षसह ने देश के लिए बलिदान दिया है। उनकी देशभक्ति को नमन करता हूं। क्षेत्र के जाबांज जवान का यूं छोड़कर चले जाने बेहद कष्टकारी है।
- बीरेंद्र सिंह राणा, विधायक सिकंदराराऊ
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