प्रभात कुमार ने कहा- माइनिंग क्षेत्र में सुरक्षा व स्वास्थ्य मानकों में सुधार...

प्रभात कुमार ने कही ये बात

Update: 2022-06-19 06:55 GMT
राउरकेला : माइनिंग (खनन) इंजीनियरिंग विभाग, एनआइटी राउरकेला में 17 से 19 जून तक खनन में सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन में चुनौतियां विषयक सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इसमें उद्योग जगत के खनन इंजीनियर, नियामक, शिक्षाविद और शोधकर्ता, खनन सुरक्षा, पर्यावरण और और इससे जुड़े स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं पर विचार कर अपने अनुभव और सुझाव साझा कर रहे हैं। खनन सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस), श्रम और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार प्रभात कुमार इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। झारखंड के धनबाद क्षेत्र में स्थित डीजीएमएस सर्वोच्च निकाय है जो देश में खानों की सुरक्षा को नियंत्रित करता है। प्रभात कुमार ने इस सम्मेलन के आयोजक खनन इंजीनियरिंग विभाग, एनआइटी राउरकेला को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह का सम्मेलन काफी जरूरी है क्योंकि खनिज किसी भी देश के विकास के लिए प्रमुख संसाधन वस्तुओं में से एक है, लेकिन इस क्षेत्र का सतत विकास भी जरूरी है। डीजीएमएस, माइनिंग में सुरक्षा और स्वास्थ्य मानकों, प्रथाओं और प्रदर्शन में सुधार सुनिश्चित करने के लिए कुछ और नियम लाने पर काम कर रहा है। एनआइटी भी इन नियमों का मसौदा तैयार करने में योगदान दे रहा है और मुझे खुशी है कि संस्थान इस तरह के आयोजन कर रहा है।
विशिष्ट अतिथि आरएसपी के प्रभारी निदेशक अतनु भौमिक ने एनआईटी राउरकेला के पूर्व छात्र होने के नाते अपने संस्थान के प्रति अपना स्नेह व्यक्त किया और खनन गतिविधियां जो पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं, इस विषय पर दर्शकों से बात की। वहीं, विशिष्ट अतिथि प्रसन्न कुमार पांडा ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे एक सीमित क्षेत्र में अत्याधिक उत्पादन चिंता का विषय है और खनन कार्य में संलिप्त स्थानीय समुदाय का प्रबंधन आज भी एक चुनौती है। निदेशक, एनआअटी राउरकेला प्रो. के उमा महेश्वर राव, जो स्वयं खनन इंजीनियरिंग अनुशासन के एक प्रमुख शिक्षाविद हैं, ने कहा कि सुरक्षा और सावधानी एक मानसिकता है जिसका अभ्यास प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से खनन से जुड़े सभी लोग जैसे इंजीनियर, वैज्ञानिक, शोधकर्ता, शिक्षक आदि को निरंतर किया जाना चाहिए। वक्त आ गया है जब प्रौद्योगिकी और ज्ञान के उपयोग से हमें किसी भी खनन परिचालन में आने वाले जोखिम का पता लगाने में सक्षम होना चाहिए ताकि दुर्घटनाएं न के बराबर हों। इस तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान भारत के अलग अलग हिस्सों से आए 8 खनन कंपनियों द्वारा खनन उपकरण और प्रौद्योगिकियों की एक प्रदर्शनी की जा रही है जिसमें खनन सुरक्षा और संचालन के लिए निर्मित उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा। सम्मेलन में देश भर की विभिन्न खनन कंपनियों के 120 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन में शिक्षाविदों, विज्ञानियों, उद्योग विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं द्वारा 50 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। प्रोफेसर एचके नाइक सभा के अध्यक्ष होने के नाते और प्रो एचबी साहू (खनन इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख) ने सम्मेलन के संयोजक होने के नाते सभा को संबोधित किया और इस बिंदु को सूचीबद्ध किया कि आज खनन सुरक्षा अनिवार्य क्यों हो गई है। सम्मेलन के पहले दिन उपाध्यक्ष (कच्चा माल), टाटा स्टील लिमिटेड डीबी सुंदरा रामम, आइआइटी खड़गपुर प्रोफेसर आशीष भट्टाचार्य मुख्य स्पीकर के तौर पर शामिल हुए। उद्घाटन कार्यक्रम के समापन पर सह-संयोजक प्रो तुषार गुप्ता ने सभी को धन्यवाद देकर ये बताया कि कैसे इस सम्मेलन ने खनन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नवीनतम नवाचारों, प्रवृत्तियों, चिंताओं, चुनौतियों और समाधानों को प्रस्तुत करने और चर्चा करने के लिए एक मंच तैयार किया है। खनन विभाग के प्रोफेसर फाल्गुनी सरकार और प्रोफेसर महेश श्रीवास सम्मेलन के सह-संयोजक रहे जबकि प्रोफेसर अमित कुमार गोराई ने तकनीकी समिति के अध्यक्ष के तौर पर सम्मेलन के लिए अपना योगदान दिया। इस अवसर पर, विभाग के निम्नलिखित 7 प्रमुख पूर्व छात्रों को भी उनके अपने कार्य क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित किया गया और खनन इंजीनियरिंग विभाग में नव स्थापित माइनिंग हॉल आफ फेम में स्थान दिया गया।
Tags:    

Similar News

-->