भुवनेश्वर। जंगलों में आग लगने की घटना के मामले में ओड़िशा देश में पहले स्थान पर है। यहां के जंगलों में पिछले पांच साल में लगी आग के आंकड़े को देखें तो हर साल औसतन 28276.80 अग्निकांड की घटना होती है जबकि अग्निकांड के कारण 13147.854 हेक्टर जंगल नष्ट हो रहें। जंगलों में आग लगने से केवल जंगल ही नष्ट नहीं हो रहे हैं बल्कि जंगल में रहने वाले दुर्लभ जीव- जंतु एवं पेड़-पौधे भी नष्ट हो रहे हैं और वायुमंडल भी प्रदूषित हो रहा है। ओड़िशा में पहले ही खदान, उद्योग, सड़क, जल सिंचाई प्रोजेक्ट के नाम पर हजारों हेक्टर जंगल नष्ट हो चुके हैं। अब जो भी जंगल बचे हैं, उसकी भी सुरक्षा ठीक से नहीं हो पा रही है।
फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया (एफएसआई) के मुताबिक प्रदेश के जंगलों में पांच साल में कुल 1 लाख 41 हजार 384 अग्निकांड की घटना हुई है। इस दौरान 65 हजार 739.27 हेक्टर जंगल नष्ट हुआ है।
ओड़िशा के जंगलों में लगने वाली आग की घटना की बात करें तो सरकार से लेकर आम लोगों तक सभी के लिए चिंता का कारण है। सरकार एवं प्रशासन की तमाम कोशिश के बावजूद हर साल ओड़िशा के जंगल में आग लगती है। जंगली जीव- जंतु के साथ जंगल नष्ट होते हैं। आलम यह है कि पिछले पांच साल में 1 लाख 41 हजार 384 अग्निकांड की घटना हुई है और 65 हजार 739.27 हेक्टर जंगल नष्ट हुए हैं। फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया (एफएसआई) की तरफ से संग्रहित तथ्य के मुताबिक 2020 नवम्बर से 2021 जून के बीच देश में 3 लाख 45 हजार 989 अग्निकांड की घटना हुई है। इसमें से केवल ओडिशा में 51 हजार 968 अग्निकांड की घटना हुई है। ओड़िशा के बाद दुसरे स्थान पर मध्य प्रदेश है जहां इस समय के दौरान 47 हजार 795 और तीसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ के जंगल में 38,106 अग्निकांड की घटना हुई है।
जानकारी के मुताबिक ओड़िशा में 51 वनखंड है। इसमें से रायगड़ा, बालीगुड़ा, बौद्ध, पारलाखेमुंडी, कालाहांडी, कोरापुट, मालकानगिरी, बणई, देवगड़, केन्दुझर, सुन्दरगड़ वनखंड में सर्वाधिक अग्निकांड की घटना होने की जानकारी वन विभाग की तरफ से दी गई है। हर साल नवम्बर से मई महीने के बीच जंगल में आग लगने की घटना बढ़ती है। इस समय के दौरान जंगल में आग पकड़ने वाली सामग्री जैसे कि सूखी लकड़ी, पत्ते गिरने से अग्निकांड की घटना हो रही है। आग लगने से जंगल की हरियाली नष्ट हो रही है।
जंगल में लगने वाली आग को रोकने का पहला दायित्व राज्य सरकार की है। जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए केंद्र सरकार केंद्रीय प्रवर्तित योजना में विभिन्न प्रकार के आर्थिक सहायता देती है। इस योजना में 2018-19 से 2020-21 के बीच राज्य को 125 करोड़ रुपया सहायता राशि दिए जाने की जानकारी पर्यावरण जंगल एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से दी गई है। जंगल में लगने वाली आग को नियंत्रित करने के लिए केन्द्र सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है। राज्य सरकार की तरफ से भी जंगल मे आग को रोकने के लिए स्पेशल स्क्वार्ड का गठन किया गया है। जंगल में आग को रोकने के लिए 10 सदस्य को लेकर 269 फारेस्ट फायर विंग काम कर रहा है। उपग्रह चित्र के माध्यम से अग्निकांड की सूचना संग्रह की जा रही है।
पांच साल में जंगल में लगी आग की घटना एवं क्षतिग्रस्त जंगल
वर्ष 2017 में 36826 आग लगने की घटना हुई थी। इससे 14121.10 हेक्टर जंगल नष्ट हुआ था।
वर्ष 2018 में 31680 आग लगने की घटना हुई थी। इससे 9730.07 हेक्टर जंगल नष्ट हुआ था।
वर्ष 2019 में 19787 आग लगने की घटना हुई थी। इससे 7164.95 हेक्टर जंगल नष्ट हुआ था।
वर्ष 2020 में 11088 आग लगने की घटना हुई थी । इससे 6070.25 हेक्टर जंगल नष्ट हुआ था।
वर्ष 2021 में 42003 आग लगने की घटना हुई थी । इससे 28652.90 हेक्टर जंगल नष्ट हुआ है।