जानिए कब निकलेगी रथयात्रा और 21 दिवसीय चंदन यात्रा की पूरी डिटेल

ओड़िशा न्यूज

Update: 2022-04-13 08:10 GMT
भुवनेश्वर। महाप्रभु जगन्नाथ जी के भक्तों के लिए खुशी की खबर है। आगामी तीन मई को होने वाली अक्षय तृतीया तथा चंदन यात्रा में भक्तों को शामिल होने की अनुमति मिल गई है अर्थात इस साल भक्तों के समागम के बीच महाप्रभु की चंदन यात्रा सम्पन्न की जाएगी। पिछले दो साल से कोविड प्रतिबंध के कारण बिना भक्तों के अक्षय तृतीया एवं चंदन यात्रा उत्सव सम्पन्न किया जा रहा था। कोविड संक्रमण कम होने से अब महाप्रभु के भक्तों को सभी यात्रा में शामिल करने का निर्णय छत्तीसा निजोग की बैठक में लिया गया है।
बैठक में चंदन यात्रा एवं अक्षय तृतीया नीति को सही ढंग से संचालन करने को लेकर भी निर्णय लिया गया है। वहीं जगन्नाथ मंदिर के पाकशाला में तोड़े गए चूल्हों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी चर्चा हुई है और आगामी दिनों में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करने का निर्णय लिया गया है। जानकारी के मुताबिक पुरी बड़दांड स्थित भक्त निवास में जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक वीर विक्रम यादव की अध्यक्षता में छत्तीसा निजोग की बैठक सम्पन्न हुई है, जिसमें पुरी के जिलाधीश समर्थ वर्मा, एसपी कुंवर विशाल सिंह तथा मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी व वरिष्ठ सेवक उपस्थित थे।
3 मई से महाप्रभु की चंदन यात्रा
गौरतलब है कि इस साल 3 मई से महाप्रभु की चंदन यात्रा शुरू हो रही है। इसी दिन अर्थात अक्षय तृतीया से 21 दिन तक महाप्रभु की चंदन यात्रा होगी। मदन मोहन भू देवि, पंचम महादेव चंदन यात्रा के लिए हर दिन नरेंद्र सरोवर जाएंगे और नरेंद्र सरोवर में जलक्रीड़ा करेंगे। वहीं हर साल अक्षय तृतीया के दिन से महाप्रभु जगन्नाथ जी की रथयात्रा के लिए रथ निर्माण कार्य का शुभारंभ किया जाता है।
जानें चंदन यात्रा के दिन किस समय सम्पन्न होगी कौन सी नीति
अक्षय तृतीया एवं चंदन यात्रा के दिन किस समय कौन सी नीति सम्पन्न की जाएगी, उस पर विस्तृत चर्चा करने के बाद नीति निर्धारण किया गया है। बैठक से मिली जानकारी के मुताबिक रात तीन बजे मंदिर का द्वार खुलेगा। भोर चार बजे मंगल आरती नीति सम्पन्न की जाएगी। सुबह 7 से 9 बजे तक सकाल धूप, 10:40 बजे चंदन लागी (भगवान के शरीर लगाया जाएगा), दोपहर 12 सर्वांग नीति सम्पन्न की जाएगी। अपराह्न 1 बजे वेश खत्म होगा। दोपहर 1 से 4 बजे तक भोग नीति सम्पन्न होगी। अपराह्न तीन बजे से द्वादश यात्रा और नक्षत्र वंदापना, 3:15 बजे जय विजय द्वार में भोग वंदापना, 3:30 बजे मणि विमान पर मदन मोहन, भू देवी, श्रीदेवि, पंच महादेव तथा पालकी में राम-कृष्ण (अष्ठधातु से निर्मित मूर्ति) की जल क्रीड़ा के लिए विजे नीति सम्पन्न की जाएगी। अपराह्न 4 बजे रथ निर्माण अनुकूल के लिए महाप्रभु का आज्ञा माला लाया जाएगा। आज्ञा माला के साथ ही जल क्रीड़ा के लिए निकले देवी-देवता रथ निर्माण के लिए लिए तीनों लकड़ियों के पूजन अवसर पर उपस्थित रहेंगे। यहां आधे घंटे तक पूजन नीति सम्पन्न होने के बाद पार्श्व देवि देवता जलक्रीड़ा के लिए नरेन्द्र सरोवर को रवाना होंगे। नरेन्द्र सरोवर में लगभग पांच घंटे तक जलक्रीड़ा करने के बाद वापस मंदिर लौट आएंगे। जल क्रीड़ा की यह प्रक्रिया 21 दिन तक चलेगी। इसके बाद 21 दिन तक मंदिर के अन्दर महाप्रभु की चंदन नीति सम्पन्न की जाएगी।
14 जून को देव स्नान पूर्णिमा
पुरी जगन्नाथ मंदिर में 14 जून को देव स्नान पूर्णिमा नीति सम्पन्न की जाएगी। देव स्नान पूर्णिमा के दिन 108 घड़ा शीतल जल से स्नान करने के बाद महाप्रभु बीमार पड़ जाएंगे और फिर उन्हें 15 दिनों तक अणवसर गृह अर्थात बुखार घर में रखकर उनकी गुप्त सेवा की जाएगी। स्वस्थ होने के बाद 30 जून को प्रभु नव यौवन वेश में दर्शन देंगे।
1 जुलाई को निकाली जाएगी महाप्रभु की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा
महाप्रभु जगन्नाथ जी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा हर साल की तरह इस साल भी आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि (एक जुलाई) के दिन निकाली जाएगी। इसके बाद बाहुड़ा यात्रा 9 जुलाई, 10 जुलाई को सोना वेश तथा 12 जुलाई को नीलाद्री बीजे नीति सम्पन्न की जाएगी।
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