दक्षिण अंडमान सागर में बना चक्रवाती परिसंचरण, आईएमडी डीजी मृत्युंजय महापात्र ने दी जानकारी
दक्षिण अंडमान सागर एवं इसके आस-पास इलाके में बुधवार सुबह 5:30 बजे एक चक्रवाती परिसंचरण बना है
दक्षिण अंडमान सागर एवं इसके आस-पास इलाके में बुधवार सुबह 5:30 बजे एक चक्रवाती परिसंचरण बना है। इसके प्रभाव से आगामी 6 मई को इसी क्षेत्र में कम दबाव का क्षेत्र बनेगा। तत्पश्चात अगले 24 घंटे के दौरान इसे और अधिक सक्रिय होने की सम्भावना है। यह जानकारी आईएमडी डीजी मृत्युंजय महापात्र ने दी है। उन्होंने कहा है कि वर्तमान में जो परिवेश है वह चक्रवात के लिए पूरी तरह से अनुकूल है। हालांकि अभी तक कुछ स्पष्ट सूचना नहीं है, यह चक्रवात ओडिशा तट से टकराएगा या नहीं, टकराएगा तो फिर इसकी गति क्या होगी, उस संदर्भ में अभी तक पूर्वानुमान भी नहीं हो सका है।
मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक चक्रवाती परिसंचरण वायुमंडल के मध्य भाग तक फैला हुआ है। इसके प्रभाव से आगामी 6 मई को कम दबाव का क्षेत्र बनेगा। इसके बाद यह उत्तर पश्चिम दिशा में दो दिन तक गति करेगा। यह क्रमश: सक्रिय होकर गहरे दबाव में तब्दील हो जाएगा। चक्रवात को लेकर अभी तक स्पष्ट सूचना नहीं मिली हैं। हालांकि अंडमान सागर तथा निकटस्थ दक्षिण पूर्व बंगोप सागर तथा पूर्व केन्द्रीय बंगोप सागर क्षेत्र में आगामी 5 से 8 मई तक मछुआरों को जाने पर रोक लगा दी गई है।
चक्रवात परिसंचरण के प्रभाव के संदर्भ में जानकारी देते हुए मौसम विशेषज्ञ उमा शंकर दास ने कहा है कि वर्तमान में इसकी तीव्रता एवं यह किस दिशा में गति करेगा उसका सटीक आकलन नहीं किया गया है। कम दबाव का क्षेत्र बनने के बाद ही आकलन किया जा सकेगा। उन्होंने कहा है कि चक्रवात परिसंचरण का वर्तमान समय में पड़ रही भीषण गर्मी या तेज धूप से कुछ लेना देना नहीं है। आगामी 4 से 5 दिन तक कालबैशाखी का प्रभाव प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में रहेगा। राज्य में अब हीट वेब को लेकर कोई सम्भावना नहीं है। आगामी 24 घंटे में तटीय ओडिशा में गड़गड़ाहट के साथ बारिश एवं हवा चलने की सम्भावना है। 6 मई को चक्रवाती परिसंचरण कम दबाव में तब्दील हो जाएगा। इसके बाद चक्रवात की स्थिति क्या होगी, यह कहां लैंडफाल करेगा उसके बारे में सटीक जानकारी मिलेगी।
कैसे बनता है चक्रवात
आईएमडी डीजी ने चक्रवात कैसे बनता है, उसके बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पृथ्वी से 5 किमी. ऊपर सबसे पहले चक्रवाती परिसंचरण बनता है। यह धीरे-धीरे नीचे जाता है। इसे प्रभाव से पहले कम दबाव का क्षेत्र बनता है। इसके बाद दबाव एवं गहरे दबाव का क्षेत्र बनता है। गहरे दबाव का क्षेत्र बाद में चक्रवात या फिर महाचक्रवात का रूप धारण कर लेता है।