जिला श्रम विभाग में एक और घोटाला का पर्दाफाश, निर्माण सामग्री की खरीदारी में गड़बड़ी का मामला
घोटाला का पर्दाफाश
राउरकेला : जिला श्रम विभाग में एक और घोटाला का पर्दाफाश हुआ है। निर्माण सामग्री की खरीदारी में गड़बड़ी का मामला लोकायुक्त के पास पहुंचने के बाद विजिलेंस विभाग को जांच का निर्देश दिया गया था। इसमें 17 हजार फर्जी निर्माण श्रमिक कार्ड पर 1.44 करोड़ का पता चला है। राउरकेला के पूर्व श्रम अधिकारी प्रणव कुमार पात्र तथा निर्माण सामग्री उपलब्ध कराने वाली व्यावसायिक संस्था कोयलनगर स्थित मां पद्मासिनी इंटरप्राइजेज के मालिक सुशांत लेंका, सिविल टाउनशिप के वेदिका इंटरप्राइजेज लिमिटेड के मालिक अनूप गुप्ता को भी लोकायुक्त ने जवाब तलब किया गया है।
इस मामले में लोकायुक्त की अगली सुनवाई 30 जून को है। सुंदरगढ़ जिल के 17 ब्लाक, राउरकेला महानगर निगम, सुंदरगढ़, राजगांगपुर तथा बीरमित्रपुर नगरपालिका क्षेत्र में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों की संख्या 1,12,220 है, जिनमें से करीब 96 हजार सक्रिय हैं। इन श्रमिकों को साइकिल और अन्य सहायक उपकरण देने के एवज में फर्जी बिल तैयार कर राशि में घपला किया गया है। सूचना अधिकार कार्यकर्ता रश्मि पाढ़ी ने 7 दिसंबर 2019 को लोकायुक्त के समक्ष याचिका दायर की थी। उन्होंने दो साल के अंदर दस करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा होने का उल्लेख अपनी याचिका में किया था।
इस मामले की जांच एवं सुनवाई चल ही रही थी कि विभाग में और एक घोटाला सामने आया। जिले में 17 हजार से अधिक फर्जी निर्माण श्रमिक कार्ड बनाकर राशि की हेराफेरी की गई है। कोरोना महामारी के समय निर्माण कार्य बंद होने के कारण निर्माण श्रमिकों के खाते में 15-15 सौ रुपये सहायता राशि भेजी गई थी। राज्य सरकार ने पहले चरण में 1,12,220 श्रमिकों के लिए 16,83,30,000 रुपये उपलब्ध कराए थे। कुल 95,061 श्रमिकों ने सहायता राशि ली जबकि 17,159 श्रमिकों का पता नहीं चला।
इस बीच निर्माण श्रमिकों को साइकिल के लिए चार हजार रुपये, सहायक उपकरण के लिए चार हजार रुपये तथा सुरक्षा उपकरण के लिए एक हजार रुपये दिए गए। फर्जी निर्माण श्रमिक कार्ड पर करीब 1.44 करोड़ रुपये की हेराफेरी होने रिपोर्ट विजिलेंस की ओर से दी गई है। सामग्री उपलब्ध कराने वाली एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी गई है। लोकायुक्त की सुनवाई पूरी होने के बाद ही इस मामले में पूरी स्थिति सामने आ पायेगी।