दूरदर्शी वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का गुरुवार सुबह निधन हो गया।
पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, का 98 वर्ष की आयु में चेन्नई में निधन हो गया।
उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या जीवित हैं। उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी।
डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, “उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”
डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था, उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और मां पार्वती थंगम्मल थीं। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।
हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।
हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।
डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।
उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक के निधन पर शोक व्यक्त किया