मणिपुर में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी, 6 से अधिक MLA छोड़ सकते हैं पार्टी

मणिपुर में कांग्रेस की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं।

Update: 2021-11-08 18:51 GMT

मणिपुर में कांग्रेस की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। एक के बाद उसके एक विधायक भाजपा में शामिल हो रहे हैं। हाल में विधायक राजकुमार इमो सिंह और यान्थोंग हौकीप भाजपा में शामिल हो गए। पर यह सिलसिला यही थमने वाला नहीं है। पार्टी मानती है कि अभी और विधायक साथ छोड़ सकते हैं।

प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि मणिपुर विधानसभा चुनाव में पार्टी की मुश्किलें बढ़ रही हैं। अभी तक भाजपा की अगुआई में गठबंधन और कांग्रेस के बीच मुकाबला था। पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के चुनाव लड़ने के ऐलान से कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। पार्टी मानती है कि चुनाव से पहले मणिपुर में आधा दर्जन से अधिक विधायक कांग्रेस छोड़ सकते हैं। इनमें से कई विधायकों की गतिविधियां पार्टी अनुशासन के खिलाफ हैं। इसलिए, चुनाव से पहले ये विधायक किसी दूसरी पार्टी में जगह तलाश सकते हैं।
तृणमूल कांग्रेस के मणिपुर में चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद पार्टी बदलने वाले विधायकों के पास विकल्प बढ़ गए हैं। इसलिए, वह भाजपा और तृणमूल के साथ मोल-भाव कर रहे हैं। क्योंकि, कई विधायक ऐसे हैं, जिनके लिए भाजपा के टिकट पर जीत हासिल करना मुश्किल होगा।पार्टी का कहना है कि ऐसे विधायकों और पूर्व विधायकों को टीएमसी के तौर पर मजबूत विकल्प मिल गया है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने सात सीटों पर जीत दर्ज की थी। पर बाद में उसके विधायक कांग्रेस और भाजपा में शामिल हो गए। वर्ष 2017 में पार्टी सिर्फ एक सीट जीत पाई। राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव के जरिए टीएमसी ने एक बार फिर मणिपुर में खुद को खड़ा करने की कोशिश की है। इससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी हैं। क्योंकि, पश्चिम बंगाल में जीत के बाद टीएमसी कांग्रेस पर हमलावर है। ऐसे में टीएमसी के चुनाव लड़ने से विपक्षी वोट बंट सकते हैं।


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