महाराष्ट्र में नर्सिंग स्टाफ ने खोला मोर्चा, मुंबई सहित सरकारी अस्पतालों की 15 हजार से अधिक नर्स अनिश्चतकालीन हड़ताल पर, ये रही वजह

महाराष्ट्र में नर्सों को एक निजी एजेंसी के माध्यम से आउटसोर्स करने के उद्धव सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के सरकारी अस्पतालों के 15 हजार नर्सों ने गुरुवार को काम-काज बंद कर दिया.

Update: 2022-05-27 02:12 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महाराष्ट्र (Maharashtra) में नर्सों को एक निजी एजेंसी के माध्यम से आउटसोर्स करने के उद्धव सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के सरकारी अस्पतालों के 15 हजार नर्सों (Maharashtra Nurses Strike) ने गुरुवार को काम-काज बंद कर दिया. हड़ताल के परिणामस्वरूप, सरकारी जेजे अस्पताल में पहले से तय सर्जरी में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है. साथ ही मरीजों को भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. महाराष्ट्र स्टेट नर्सेज एसोसिएशन (Maharashtra State Nurse Association) की महासचिव सुमित्रा तोटे ने कहा कि अगर उनकी मांग 28 मई तक पूरी नहीं होती है तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जायेंगी और शुक्रवार को भी वे हड़ताल पर रहेंगी.

आउटसोर्स से बढ़ेगा शोषण का खतरा
सुमित्रा ने कहा, नर्सों की भर्ती अगर आउटसोर्स की जाती है, तो उनके शोषण का खतरा होगा और उन्हें कम पारिश्रमिक मिलेगा. उन्हें आय के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. यह उनके काम को प्रभावित करेगा जिसका मरीजों पर तत्काल प्रभाव पड़ेगा.
15 हजार से अधिक नर्सें हैं हड़ताल पर
उन्होंने कहा कि मुंबई सहित सरकारी अस्पतालों की 15,000 से अधिक नर्सें हड़ताल पर हैं. उन्होंने कहा कि एमएसएनए ने नर्सिंग और शिक्षा भत्ता की भी मांग की है. तोटे ने कहा कि केंद्र और कुछ राज्य नर्सिंग भत्ता 7,200 रुपये देते हैं. तोटे ने कहा कि इसका लाभ महाराष्ट्र की नर्सों को भी दिया जाना चाहिए.
आउटसोर्सिंग की नहीं है जरूरत
महाराष्ट्र स्टेट नर्सेज एसोसिएशन से जुड़े प्रवक्ताओं का कहना है कि अभी कोई महामारी का समय नहीं है कि सरकार को बड़ी संख्या में नर्सों की नियुक्ति करनी है, इसलिए वे इन्हें आउटसोर्स कर रहे हैं. इसके साथ ही इससे राज्य की नर्सों को कम पेमेंट और बिना प्रमोशन के संतोष करने पर बाध्य होना पड़ेगा. संगठन का कहना है कि अभी तक जैसे नर्सों की नियुक्ति होती आयी है आगे भी वैसे ही होनी चाहिए.
हड़ताल से पड़ेगा मरीजों पर प्रभाव
नर्सों के हड़ताल पर जाने से मरीजों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. जेजे अस्पताल की डीन डॉ दीपाली सापले ने कहा कि दिन में तीस आपातकालीन सर्जरी की गई, जबकि एक सामान्य दिन में लगभग 70-80 सर्जरी की जाती हैं. उन्होंने कहा, हमारे पास नर्सिंग के छात्र भी हैं, इसलिए हमने 183 छात्र नर्सों की 12 घंटे की शिफ्ट लगाई है.जनता से रिश्ता वेबडेस्क।
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