महाराष्ट्र : मकोका और नारकोटिक्स कानूनों में बंद दिव्यांग को सुप्रीम कोर्ट से जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने एंटी नारकोटिक्स कानून और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून के तहत जेल में बंद एक दिव्यांग व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा है कि यह व्यक्ति 4 साल से हिरासत में है और इतने वक्त ने कथित सिंडिकेट से तार्किक रूप से उसे अलग कर दिया होगा।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने एंटी नारकोटिक्स कानून और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) के तहत जेल में बंद एक दिव्यांग व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा है कि यह व्यक्ति 4 साल से हिरासत में है और इतने वक्त ने कथित सिंडिकेट से तार्किक रूप से उसे अलग कर दिया होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस सप्ताह के आरंभ में दिया। याची की जमानत बॉम्बे हाईकोर्ट ने जुलाई 2021 में खारिज कर दी थी जिसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि अगर यह पता चलता है कि याची फिर से ड्रग्स के कारोबार में लिप्त है या उसके खिलाफ किसी और अपराध की जानकारी मिलती है तो अभियोजन पक्ष जमानत खारिज कराने के लिए ट्रायल कोर्ट में जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते समय याची के वकील के इस तर्क पर गौर किया कि याची दिव्यांग है, जयपुर फुट का इस्तेमाल करता है और जेल में बंद रहने के दौरान उसका वजन 12 किलो कम हो गया है जिसके कारण जयपुर फुट उसे ठीक से फिट नहीं आ रहा है। यह व्यक्ति जनवरी 2018 में पुणे में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटांस एक्ट और मकोका के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।