महाराष्ट्र पीयूसीएल ने कोल्हापुर सांप्रदायिक हिंसा, नांदेड़ में जातीय-हत्या की निंदा की
मुंबई। महाराष्ट्र पीयूसीएल ने 8 जून को कोल्हापुर में भड़की सांप्रदायिक हिंसा और 2 जून को नांदेड़ में एक युवक की जातीय-हत्या की यहां शनिवार को निंदा की, और राज्य सरकार तथा पुलिस से राज्य में शांति एवं सद्भाव बहाल करने के लिए तत्काल उपाय करने का आग्रह किया। पीयूसीएल के अध्यक्ष मिहिर देसाई और महासचिव लारा जेसानी ने भी राज्य में निहित स्वार्थो के लिए फैलाई जा रही नफरत और जाति-सांप्रदायिक हिंसा को उकसाने पर चिंता व्यक्त की।
देसाई और जेसानी ने कहा, ये राज्य में धार्मिक अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की श्रंखला में नवीनतम हैं.. और महाराष्ट्र में जातीय तथा सांप्रदायिक संघर्षों को भड़काते हैं।
उन्होंने 30 अप्रैल को भोंदर (नांदेड़) में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की जयंती मनाने के लिए एक रैली का आयोजन करने वाले दलित युवक अक्षय श्रवण भालेराव की नौ लोगों द्वारा हत्या का उल्लेख किया।
पीयूसीएल ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे 7 जून को मुगल सम्राट औरंगजेब और मैसूर के राजा टीपू सुल्तान के सोशल मीडिया पोस्ट के विरोध में बंद के आह्वान के बाद विभिन्न हिंदुवादी संगठनों के प्रति निष्ठा रखने वाले लोग कोल्हापुर के छत्रपति शिवाजी चौक पर एकत्र हुए।
सकल हिंदू समाज ने अहमदनगर के संगमनेर शहर में भी एक रैली निकाली, जहां कथित तौर पर मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए नफरत फैलाने वाले भाषण दिए गए, जिसके बाद पथराव की घटनाएं हुईं।
इससे पहले 28 मई को संगमनेर, अकोला और शेवगांव (अहमदनगर) में 15-16 मई को भी सांप्रदायिक हिंसा हुई थी और 24 मई को कोल्हापुर के पन्हालगढ़ किले में स्थित हजरत पीर शाहदुद्दीन खट्टलशाहवाली दरगाह में भी तोड़फोड़ की गई थी।
देसाई ने कहा, विभाजनकारी ताकतें लोगों की एकता को तोड़ने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं। लेकिन पन्हालगढ़ की घटना में दोनों समुदायों के लोग नुकसान की मरम्मत के लिए तुरंत आगे आए और सुनिश्चित किया कि शांति बनी रहे।
जेसानी ने कहा कि अदालती आदेशों के बावजूद ये (हिंदुत्व) संगठन हिंसा और अस्थिरता भड़काने के लिए बेधड़क काम कर रहे हैं। यह नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकने, अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस और राज्य की निष्क्रियता का नतीजा हैं।
पीयूसीएल ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा औरंगजेब के बेटों पर कानून और व्यवस्था को बाधित करने का प्रयास करने वाले बयानों की भी निंदा की और कहा कि इस तरह की टिप्पणी एक समुदाय के सभी सदस्यों को एक पैमाने पर आंकते हैं और हिंसा के वास्तविक अपराधियों से ध्यान हटाते हुए माहौल को और खराब करते हैं।
नागरिक अधिकार संगठन ने यह भी मांग की है कि भालेराव की हत्या के मामले की सुनवाई एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट में हो, गवाहों को सुरक्षा और पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाए।(आईएएनएस)