16 साल बाद मिला इंसाफ, अल्ट्रासाउंड लैब को देना होगा सवा करोड़ रुपये का हर्जाना, जानें क्या है कारण

अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट एक ऐसी चीज़ है जिस पर डॉक्टर से लेकर मरीज़ हर कोई आंख मूंदकर भरोसा करते हैं.

Update: 2022-06-02 05:04 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट एक ऐसी चीज़ है जिस पर डॉक्टर से लेकर मरीज़ हर कोई आंख मूंदकर भरोसा करते हैं. लेकिन नागपुर में अल्ट्रासाउंड की एक लैब ने एक दो बार नहीं, बल्कि 4 बार मरीज़ की रिपोर्ट गलत दे दी. अब इस लैब पर भारी-भरकम जुर्माना लगाया गया है. नेशनल कंज्यूमर कमीशन ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इस लैब को आदेश दिया है कि वो एक बच्चे और उनके माता-पिता को हर्जाने के तौर पर 1.25 करोड़ रुपये दे.

नागपुर में एक महिला अपनी प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड करवाती थी. लेकिन हर बार उन्हें गलत रिपोर्ट दी गई. लिहाजा उनका बच्चा कंजेनिटल एनोमलिज यानी जन्मजात विसंगतियों के साथ पैदा हुआ. बता दें कि ऐसे बच्चों के शरीर की बनावट में जन्म से पहले से कई तरह की कमियां रहती है. ऐसी चीजों का पता प्रेगनेंसी के 17-18 हफ्ते तक चल जाता है. इसके बाद डॉक्टर अबॉर्शन की सलाह देते हैं.
नागपुर की है ये लैब
पीड़ित परिवार को जन्म के बाद पता चला कि उनके बच्चे को अंगुलियां नहीं है. साथ ही इस बच्चे के पैर में पूरी तरह से नहीं बने थे. इसके लिए गलत अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट को ज़िम्मेदार ठहराया गया. अखबार के मुताबिक महिला अपनी प्रेगनेंसी के दौरान नागपुर की इमेजिंग प्वाइंट लैब से अल्ट्रासाउंड करवाती थी. एनसीडीआरसी की दो सदस्यीय बेंच ने लैब को बच्चे के वेलफेयर के लिए मुआवजे, इलाज के लिए भविष्य के खर्च और अंग कृत्रिम अंग की खरीद के लिए भुगतान करने को कहा है.
16 साल बाद मिला इंसाफ
ये मामला साल 2006 का है. डॉक्टर ने ही इस महिला को उस खास लैब में जाने की सलाह दी थी. लेकिन सभी चार रिपोर्ट गलत साबित हुए. परिवार ने इस मामले में 10 करोड़ हर्जाने की मांग की थी. अब बेंच ने सवा करोड़ रुपये देने को कहा है. साथ ही कहा है कि ये पैसे फिक्स डिपॉजिट के तौर पर रखे जाएंगे.
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