मुंबई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने कहा कि किसान (Farmer) हमारे अन्नदाता है, इसलिए किसानों की समस्या दूर करना सरकार की प्राथमिकता है। राज्य में हार्वेस्टर की कमी को दूर करने के लिए 900 हार्वेस्टर खरीदने के लिए सरकार किसानों को सहयोग करेगी, शनिवार को पुणे में बसंत दादा चीनी मिल की तरफ से पुरस्कार का आयोजन किया गया था जिसमे पुरस्कार देने के बाद वे बोल रहे थे. मुख्यमंत्री श्री शिंदे ने कहा, सरकार ने हमेशा चीनी मिलो का सहयोग और समर्थन किया है। सरकार भविष्य में भी आने वाली दिक्कतों को दूर करने का काम करेगी। शिंदे ने कहा कि राज्य में लाखों किसान चीनी उद्योग पर निर्भर हैं, इसलिए इस उद्योग को बढ़ाने और अस्तित्व में बनाए रखने के लिए सरकार ने चीनी उद्योग के साथ-साथ किसानों की अन्य मूलभूत समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं का समाधान करते हुए किसानों के लिए 18 सिंचाई परियोजनाओं का शुभारंभ किया जा रहा है, जिससे ढाई लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि सिंचित क्षेत्र में आ जाएगी। नियमित कर्ज अदा करने वाले किसानों को 50 हजार रुपये प्रोत्साहन अनुदान के रूप में दिया गया है, 7 लाख 19 हजार किसानों के खाते में प्रोत्साहन अनुदान के रूप में ढाई हजार करोड़ रुपये जमा किये गये हैं। 7 लाख 20 हजार किसानों को 1 हजार 700 करोड़ का वितरण भी किया जा रहा है। भारी बारिश से प्रभावित किसानों को भी बढ़ाकर मदद दिया जा रहा है। जलयुक्त शिवार योजना भी प्रभावी ढंग से शुरू की गई है।
कृषि क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना है जरूरी
कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण (processing of agricultural products) करने वाले उद्योगों में कपड़ा उद्योग के बाद चीनी उद्योग का स्थान आता है। ग्रामीण भागों के विकास में इस उद्योग का बहुत बड़ा योगदान है। नई अद्यतन (एडवांस) तकनीक की मदद से वसंतदादा शुगर इंस्टिट्यूट कम लागत में अधिक उत्पादन करने में मदद कर रहा है। अनुसंधान, विकास, प्रशिक्षण और विस्तार यह इंस्टीट्यूट (संस्थान) का उद्देश्य हैं।
गन्ने के उत्पादन से लेकर चीनी बनाने की तकनीकों तक के विभिन्न चरणों का आधुनिकीकरण कैसे किया जा सकता है,इससे सहकारी क्षेत्र को फायदा हो रहा है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने के लिए नई और अद्यतन तकनीक का उपयोग करना होगा। अगर कृषि अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाएगा तो राज्य की प्रगति को गति मिलेगी।
इथेनॉल उत्पादन के लिए सरकार का प्रोत्साहन
चालू क्रॉसिंग सीजन में 508 लाख मीट्रिक टन गन्ना का क्रशिंग (पेराई) हो चुका है, वहीं 47 लाख मीट्रिक टन चीनी का भी क्रॉसिंग किया गया है। महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन में विश्व में तीसरा स्थान है। यह गर्व करने वाली बात है। पिछले साल राज्य में 137.20 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ था। 12.6 लाख मीट्रिक टन चीनी का उपयोग इथेनॉल के उत्पादन के लिए किया गया है। इथेनॉल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की नीति है। इससे चीनी मिलों को नई संजीवनी मिल रही हैं। 106 चीनी मिलों ने इथेनॉल उत्पादन शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि चालू सीजन में भी बड़ी मात्रा में इथेनॉल का उत्पादन होगा।
गन्ने के साथ फल-बाग का भी बढ़ाया जाए क्षेत्रफल
गन्ने का बढ़ता उत्पादन, बिना क्रॉसिंग के बचे हुए गन्ने चीनी मिलों के सामने चुनौतियां हैं। इसलिए सहकारी क्षेत्र में गन्ना एक अच्छा विकल्प होते हुए भी आय बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। राज्य में चीनी का अधिक उत्पादन होता है, इसलिए चीनी मिलों को चीनी निर्यात और चीनी का कम उत्पादन करने वाले अन्य राज्यों को चीनी की बिक्री के प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए। किसानों को गन्ना उत्पादन के साथ-साथ खरीफ की फसल कपास-सोयाबीन की बुआई भी बढ़ानी चाहिए। फल-बाग का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए भी प्रयास करने की जरूरत है। राज्य सरकार गन्ने की फसल के लिए ड्रिप सिंचाई का उपयोग बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इससे चीनी मिलों को आवश्यक गन्ना कम क्षेत्र और कम पानी में उपलब्ध हो सकेगा। श्री शिंदे ने कहा कि इस संबंध में बीएसई का काम महत्वपूर्ण है।मुख्यमंत्री ने कहा कि चीनी मिलों ने आपदा के दौरान केवल लाभ-हानि पर ध्यान न देकर सामाजिक प्रतिबद्धता बनाए रखी है। मुख्यमंत्री ने चीनी मिलों से इस तरह के उपक्रम को बढ़ाने की गुहार लगाई है।
Source : Hamara Mahanagar
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