विशेषज्ञों ने स्कूली स्तर से ही मानसिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम शुरू करने की बताई आवश्यकता
मुंबई, (आईएएनएस)| पालघर की युवती श्रद्धा वाकर की दिल्ली में उसके लिव-इन पार्टनर द्वारा की गई निर्मम हत्या और उसके शरीर के कई टुकड़े कर दिए जाने की पृष्ठभूमि में मुंबई के एक प्रमुख मनोचिकित्सक ने सरकार से स्कूली स्तर से ही बच्चों को जागरूक करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम शुरू करने का आग्रह किया है।
मनोचिकित्सक डॉ. साजिद खान ने कहा, शुरुआत में मानसिक बीमारियों, उनके प्रकार, इससे कैसे निपटा जा सकता है, आदि पर विज्ञान के विषयों में एक अध्याय हो सकता है, यह भारत में मानसिक बीमारी से जुड़ी समस्या को दूर करेगा। यहां, ऐसे रोगियों को पागल कह कर उनका उपहास उड़ाया जाता है, जो गलत है।
दिल्ली हत्याकांड का जिक्र करते हुए खान ने कहा कि एक या दोनों में कुछ मानसिक समस्याएं हो सकती हैं, जिनका पेशेवर रूप से आकलन करने की आवश्यकता है, उन्होंने आरोपी आफताब ए. पूनावाला को बिना कोई रियायत देते हुए उसके कृत्य को कोई लेबल देने के प्रति चेतावनी दी।
हेल्थस्प्रिंग में मनोचिकित्सक डॉ. सागर मूंदड़ा का मानना है कि पूनावाला को 'बहुत आत्मविश्वासी', 'सामान्य', 'परेशान नहीं' होने का हवाला देने वाली रिपोर्ट उसके मनोरोगी होने का संकेत है। हालांकि रिपोटरें में कहा गया है कि उसके असली मकसद का पता जांच का विषय है।
खान ने कहा, यह शायद एक आवेग में किया गया कार्य था। उन्होंने पहले बुरी तरह से झगड़ा किया होगा, फिर मारपीट की होगी और इसी दौरान शारीरिक रूप से मजबूत होने के नाते आफताब ने श्रद्धा को मार डाला होगा। बाद में उसे अपनी हरकत का एहसास हुआ होगा और फिर सावधानीपूर्वक योजना बनाई कि होगी कि अपराध को कैसे छिपाया जाए।
आफताब के सामान्य दिखने पर मुंदडा का कहना है कि यह मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों की ओर इशारा करता है। इसके निदान की आवश्यकता हो सकती है। क्योंकि ऐसे कई रोगी 'बहुत ही आकर्षक, एक तरह के करिश्माई आकर्षण' सा प्रतीत होते हैं, जो दूसरों को बेवकूफ बना सकते हैं।
मुंदड़ा ने कहा कि वारदात से अप्रभावित ऐसे लोगों की 'भावनाएं सामान्य लोगों से अलग तरीके से काम करती हैं'।
इसे 'भ्रम संबंधी विकार' का एक रूप होने का संदेह करते हुए डॉ. साजिद खान कहते हैं कि यह मामला, या अन्य समान, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए गहन जांच की आवश्यकता है और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इसका विश्लेषण जरूरी है।
खान ने कहा आधुनिक समय में युवा आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रहे हैं, वे बहुत जागरूक हैं, विभिन्न मुद्दों पर अपने फैसले खुद लेते हैं और कुछ की बुराइयों की आदत भी हो सकती है जो अक्सर इस तरह के जघन्य अपराधों को करने को प्रेरित करती है।
दिल्ली में श्रद्धा हत्याकांड से पहले महाराष्ट्र हाल के वर्षों में कई ऐसी घटनाओं से दहल उठा है, कुछ मामलों में तो सिरफिरी महिलाएं भी अपराधी रही हैं।
फरवरी 2020 में वर्धा में एक परित्यक्त प्रेमी ने कथित तौर पर पेट्रोल छिड़क कर 24 वर्षीय जूनियर कॉलेज लेक्च रर अंकिता पिसुदे को सड़क पर जला दिया। एक हफ्ते बाद उसकी मौत हो गई और आरोपी विकेश नगराले को गिरफ्तार कर लिया गया।
फरवरी 2022 में नासिक के लोहोनर के 25 वर्षीय व्यक्ति गोरख के. बछाव पर गर्म छड़ों से हमला किया गया और उसकी 23 वर्षीय प्रेमिका ने उसके विवाह का विरोध करने पर कथित तौर पर उसे आग लगा दी। पुलिस ने लड़की और उसके परिवार को गिरफ्तार कर लिया और युवक बच गया और अब लगभग सामान्य जीवन जी रहा है।
आफताब के मामले में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ उसे 'साइको-किलर' या ऐसा कुछ भी कहने का जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं, जो मुकदमे के दौरान उसके पक्ष में हो।
दिल्ली पुलिस के अनुसार आफताब उनकी हिरासत में बेपरवाह लगता है, सेल में अच्छी तरह से खाता और सोता है। यह उसके मानसिक रोगी होने का संकेत है, जिसकी जांच की आवश्यकता है।
मुंदड़ा और खान दोनों का कहना है कि भारतीयों के मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रकार या सीमा पर कोई व्यापक शोध या विश्वसनीय डेटा नहीं है, जो समय पर निवारक उपायों का सुझाव देने के लिए वैज्ञानिक रूप से ऐसे मामलों का विश्लेषण करने में मदद कर सके।