महाराष्ट्र हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, फांसी की सजा पाये दो दोषियों को पढ़ाई करने की दी अनुमति
बम्बई उच्च न्यायालय (HIGH COURT OF BOMBAY) ने उन दो दोषियों को खुले विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ायी करने की अनुमति दी है।
मुंबई: बम्बई उच्च न्यायालय (HIGH COURT OF BOMBAY) ने उन दो दोषियों को खुले विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ायी करने की अनुमति दी है जिन्हें एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार और हत्या के लिए 2017 में फांसी की सजा सुनायी गई थी.
18 अप्रैल को पारित एक आदेश में, न्यायमूर्ति पी बी वराले और न्यायमूर्ति एस एम मोदक की पीठ ने कहा कि दोषियों ने शिक्षा को आगे बढ़ाने की इच्छा जतायी है जिसका ''स्वागत'' है. पीठ ने यरवडा जेल के अधिकारियों को दोषियों के प्रति ''मानवीय दृष्टिकोण अपनाने'' का आदेश दिया जहां दोनों दोषी बंद हैं. पीठ ने जेल अधिकारियों से कहा कि वे दोषियों को उनकी पढ़ाई को आगे बढ़ाने में मदद करने के लिए ''आवश्यक सहायता प्रदान करें.''
राज्य के अहमदनगर जिले के कोपर्डी में 2016 में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार और उसकी हत्या करने के जुर्म में एक निचली अदालत ने नवंबर 2017 में जितेंद्र शिंदे और नितिन भाईलूम को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी.
महाराष्ट्र सरकार ने फांसी की सजा की पुष्टि के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया, जबकि शिंदे और भाईलूम ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया. दोनों मामले उच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं. 2019 में, दोनों ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करके अनुरोध किया कि उन्हें जेल में रहने के दौरान अध्ययन करने की अनुमति दी जाए.