महाराष्ट्र में रोज 8 घंटे की लोड शेडिंग, कोयले की कमी के कारण मुंबई में भी पॉवर संकट का खतरा बढ़ा

देश भर में कोयले का संकट और बढ़ती गर्मियों की वजह से बिजली की मांग बढ़ने से महाराष्ट्र के कई इलाकों में 30 जून तक रोज 8 घंटे लोड शेडिंग शुरू हो गई है.

Update: 2022-04-13 06:30 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश भर में कोयले का संकट और बढ़ती गर्मियों की वजह से बिजली की मांग बढ़ने से महाराष्ट्र के कई इलाकों में 30 जून तक रोज 8 घंटे लोड शेडिंग (Load shedding in maharashtra) शुरू हो गई है. बिजली वितरण की सरकारी कंपनी महावितरण (Mahavataran) ने करीब तीन महीनों के लिए लोडशेडिंग का टाइम टेबल जारी कर महाराष्ट्र की जनता को जबर्दस्त झटका दिया है. कहीं नींद खराब होगी तो कहीं काम खराब होगा. अलग-अलग इलाकों में कहीं दिन में लोड शेडिंग होगी तो कहीं रात मे बत्ती गुल होगी. कल यह खबर आई थी कि लेड शेडिंग उन्हीं जगहों पर ज्यादा होगी जहां बिजली वितरण में कंपनी को नुकसान है, लोग समय पर जहां बिजली बिल नहीं भरा करते हैं. ऐसे में चूंकि मुंबई और इसके आस-पास के इलाकों में हालत बेहतर है, इसलिए मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई में लोड शेडिंग का असर नहीं होगा. साथ ही यह भी कहा गया था कि महा वितरण के कार्यक्षेत्र में मुंबई और इसके आस-पास के इलाके नहीं आते हैं, इसलिए मुंबई और इसके आस-पास के क्षेत्र प्रभावित नहीं होंगे. लेकिन अब मुंबई में भी लोडशेडिंग (Power cut in mumbai) का खतरा बढ़ गया है.

मुंबई में ज्यादातर बिजली उत्पादन और वितरण निजी कंपनियां संभालती हैं. यहां बिजली वितरण को लेकर महावितरण का दखल नहीं है. ऐसे में यह मान लिया गया कि मुंबईकरों को लोडशेडिंग का सामना नहीं करना पड़ेगा. लेकिन कुल मिला कर कोल क्राइसिस से जुड़े हालात को देखें तो देर-सबेर इसका असर मुंबई और इसके आस-पास के क्षेत्रों में भी पड़ना तय है. इसकी वजह यह है कि मुंबई और इसके आस-पास भी ज्यादातर बिजली कोयले से ही तैयार होती है.
कोयले की कमी के संकट से नहीं बचेगी मुंबई, लोड शेडिंग तो समझो यहां भी हुई
मुंबई शहर और इसके आस-पास अदानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड (AEML), टाटा पॉवर और बेस्ट, इन तीन कंपनियों से बिजली सप्लाई की जाती है. लेकिन भांडुप से मुलुंड तक और ग्रेटर मुंबई के कई इलाकों में महावितरण भी बिजली सप्लाई करती है. मुंबई में फिलहाल रोज बिजली की मांग 3500 मेगावॉट तक पहुंच गई है. इनमें से ज्यादा से ज्यादा 1250 से 1300 मेगावॉट बिजली ही कोयले से पैदा हो पाती है. 447 मेगावॉट बिजली जल विद्युत और 250 मेगावॉट पेट्रोलियम और पवन चक्कियों पर आधारित बिजली मिला करती है. ऐसे में मुंबई को 1500 मेगावॉट बिजली बाहर से खरीदनी पड़ सकती है.
बिजली आखिर कितनी महंगी करें? तो चलो, उत्पादन ही कम करें
जल विद्युत की खपत एक सीमा से ज्यादा नहीं की जा सकती. इससे जुड़े कुछ नियम हैं. बिजली की ज्यादातर सप्लाई कोयले से होने वाली बिजली की है. अदानी इलेक्ट्रिसिटी हर रोज डहाणू उत्पादन केंद्र से 500 मेगावॉट पैदा करती है. यहां ज्यादातर देसी कोयले का इस्तेमाल होता है. लेकिन देश में कोयले की कमी का संकट है. टाटा पॉवर कंपनी ज्यादातर इंडोनेशियाई कोयले का इस्तेमाल करती है. टाटा के ट्रॉम्बे प्लांट में हर रोज 750 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है. लेकिन देश में कोयले की कमी की वजह से कोयले का दाम आसमान छू रहा है.
ऐसे में बिजली आम आदमी की जरूरत होने की वजह से इसके दाम एकदम से नहीं बढ़ाए जा सकते. इन समस्याओं को देखते हुए कम उत्पादन ही एक रास्ता रह जाता है. इसलिए कोयले की कमी के संकट का असर मुंबई में भी लोड शेडिंग के तौर पर दिखाई दे सकता है.


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