मोहखेड़। कोरोना संक्रमण की मार से उबरे हजारों किसान जब खेतों की तरफ रुख कर रहे हैं, तो एक तरफ यूरिया, खाद की उपलब्धता को लेकर चिंतित होना पड़ रहा है। वहीं सरकार द्वारा तय रेट से अधिक दाम पर यूरिया खाद की बिक्री कर हजारों किसानों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है, लेकिन कृषि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और प्रशासन शिकायतों का इंतजार कर रहा है। मोहखेड़ विकासखंड के हर क्षेत्र में खाद की काला बाजारी की जा रही है।
वर्तमान दिनों में किसानों को तय सरकारी दाम पर यूरिया मिलना मुश्किल हो रहा है। मोहखेड़ नगर सहित मैनीखापा, लावाघोघरी, लिंगा, उमरानाला, सांवरीबाजार, बीसापुरकला आदि क्षेत्रों में खुले बाजार में मनमाने रेटों पर विक्रेताओं द्वारा खाद बेची जा रही है। क्षेत्र के भाजपा या कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों और नेताओं ने अभी तक खाद की अधिक दामों पर बिक्री को लेकर कोई आपत्ति नहीं ली है। इसलिए हजारों किसान खुद को छला सा महसूस कर रहे हैं।
खरीफ के सीजन की बुवाई के बाद फसल में यूरिया की जरूरत है। इसे देख विक्रेताओं ने मनमानी आरंभ कर दी है। विभाग ने यूरिया की 45 किलो की बोरी के दाम 266.50 पैसे निर्धारित किए हैं। इससे कहीं अधिक दामों पर किसानों को खाद उपलब्ध हो रही है। कई सहकारी समितियों में खाद की कमी बनी हुई है। इससे मजबूरन, किसानों को खुले बाजार से खाद खरीदनी पड़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापारी मनमाने भाव में खाद बेच किसानों का शोषण करते हैं। किसानों के बिल मांगे जाने पर कोरे कागज पर बिल बनाकर दिया जा रहा है, लेकिन कृषि विभाग के अधिकारी मौन है।
बता दें कि मैनीखापा गांव में एक निजी कृषि केंद्र में 450 रुपये यूरिया बेचने का मामला सामने आया। जहां पर मैनीखापा गांव के एक पीड़ित किसान ने उक्त दुकान से यूरिया और अन्य खाद खरीदी। जिसमें एक यूरिया की बोरी के 450 रुपये दाम वसूले गए।बिल मांगने पर उसे सादी पर्ची थमा दी। उक्त पर्ची को लेकर पीड़ित किसान ने कृषि विभाग के अधिकारियों से शिकायत की।
वर्जन
ग्रामीण अंचलों में इन दिनों निजी दुकानदार ग्रामीणों को मनमाने दामों पर खाद बेचकर लूटा जा रहा है। शिकायत करने पर पीड़ितों की आवाज को दबाई जाती है।
केवलराम उइके, पूर्व जनपद सदस्य मैनीखापा
उक्त शिकायत की जानकारी मिली है, जिसको लेकर सबंधित अधिकारी को जांच के लिए दिया गया है।
डीएस घाघरे, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी मोहखेड़