उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में जिला व मंदिर प्रशासन के आला अफसरों के बीच चल रहा शीतयुद्ध अब खुलकर समाने आ गया है। मंदिर व जिला प्रशासन ने प्रोटोकाल दर्शन का बंटवारा कर लिया है। दोनों की व्यवस्थाएं अलग-अलग संचालित होंगी। मंदिर में दोनों विभागों के प्रोटोकाल कार्यालय भी अलग रहेंगे। इस व्यवस्था में दोनों विभागों की ओर से दो दर्जन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।
सूत्र बताते हैं महाकाल मंदिर में लंबे समय से जिला व मंदिर प्रशासन के अधिकारियों के बीच खींचतान चली आ रही है। मुख्य मुद्दा प्रोटोकाल दर्शन तथा भस्म आरती में नंदी मंडपम् की अनुमति व्यवस्था है। जिला प्रशासन ने इसका जिम्मा जिला सत्कार शाखा को दे रखा है, जबकि मंदिर के अधिकारी चाहते हैं कि मंदिर की व्यवस्थाएं मंदिर प्रशासन के हाथ में रहे।
दो दिन पहले प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने सत्कार शाखा से कुछ कर्मचारियों के तबादले कर दिए थे, उसी दिन जिला कलेक्टर ने भी जिला सत्कार शाखा की नई सूची जारी की थी। सूत्र बताते हैं इसके बाद अधिकारियों के बीच विवाद और गहरा गया। गुरुवार को मंदिर प्रशासक ने नई सूची जारी कर दोनों विभागों की व्यवस्था को अलग कर दिया। अधिकारियों के बीच असमन्वय का असर आने वाले दिनों में श्रावण माह की व्यवस्था पर पड़ेगा।
आम भक्तों की फजीहत, सिर्फ वीआइपी पर ध्यान महाकाल मंदिर में आम भक्तों की जमकर फजीहत हो रही है। गुरुवार को ही निजी महिला सुरक्षाकर्मी द्वारा एक महिला श्रद्धालु के साथ मारपीट करने का मामला सामने आया है। अफसर इन सब व्यवस्थाओं पर ध्यान देने की बजाय वीआइपी व्यवस्था पर फोकस कर रहे हैं।
सत्कार के लिए 22 कर्मचारी
मंदिर व जिला प्रशासन की प्रोटोकाल दर्शन व्यवस्था में 22 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। एक तरफ तो कर्मचारियों की कमी बता कर कृष्णा कंपनी के माध्यम से मनमानी भर्ती की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ वीआइपी की आवभगत के लिए जंबो टीम लगा दी गई है।