व्होरा परिवार ने निकाली दर्शन यात्रा, 12 वर्षीतप आराधकों के साथ Indore संघ अध्यक्ष भी हुए शामिल
Thandla थांदला। जैन धर्म सत्य अहिंसा के साथ तप के लिए भी जाना जाता है। जैनियों के प्रथम तीर्थंकर प्रभु ऋषभदेवजी को तप का आदि कर्ता माना जाता है। आदिनाथ भगवान के 13 माह के प्रथम तप का पारणा अक्षय तृतीया पर श्रेयांस कुमार के द्वारा इक्षुरस से हुआ था तभी से जैन धर्म के अनुयायी भगवान आदिनाथ के जन्म एवं दीक्षा कल्याणक से वर्षीतप की आराधना शुरू करते है व गुरुभगवन्तो के सानिध्य में रहकर अक्षय तृतीया के दिन तप में लगे हुए दोषों का प्र मार्जन कर उसकी आलोचना कर प्रायश्चित लेते हुए पारणा करते है। इस दौरान धार्मिक आस्था के शाश्वत तीर्थ भगवान आदिनाथ के निर्वाण स्थली पालीताना की यात्रा करते भी है व यात्रा करवाने का लाभ भी उठाते है।
थांदला नगर में भी करीब 72 वर्षीतप वल रहे है उन्ही में से एक तपस्वी बहन स्नेहलता अशोक कुमार व्होरा के भाव जागृत हुए व अपने परिवार संग वर्षीतप आराधकों व अन्य आस्थावान दर्शनार्थियों के साथ दो बस के माध्यम से शाश्वत तीर्थ पालीताना, शंखेश्वर पार्श्वनाथ, महुड़ीजी, मणिलक्ष्मी व गोधरा विमलनाथजी तीर्थ सहित अन्य तीर्थ दर्शन की पंचक्रोशी यात्रा निकाली। व्होरा परिवार की दर्शन यात्रा में जहाँ थांदला श्रीसंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेन्द्र व्होरा, इंदौर अणु स्वाध्याय भवन के श्रीसंघ अध्यक्ष कनकमल बाठिया शामिल हुए वही वर्षीतप आरधक परिवार के तपस्वी स्नेहलता अशोक व्होरा, रीता महेश व्होरा, सपना प्रदीप व्होरा सजोड़े शामिल हुए वही अन्य वर्षीतप आरधक तपस्वी पवन नाहर, मंजुला नाहर, राजल कुवाड़, नीता छाजेड़, हंसा रुनवाल, कला खेमेसरा, अभय खेमेसरा, संगीता लोढ़ा, आशा नाहटा सहित 92 यात्री तीन दिवसीय यात्रा में शामिल हुए। परिवार के सुरेशचंद्र व्होरा, रमेश व्होरा, आशीष व्होरा ने बताया कि इस दौरान सकल यात्रियों के आतिथ्य सत्कार का लाभ अशोक व्होरा परिवार द्वारा लिया गया है।