बेमौसम बारिश ने प्याज किसानों पर ढाया कहर, 1 रुपये में बेचने को मजबूर

किसानों की तकलीफ की 3 तस्वीरें इस कहानी में हैं

Update: 2021-12-29 13:47 GMT
भोपाल: किसानों की तकलीफ की 3 तस्वीरें इस कहानी में हैं. खाद की कमी, उपज की कम कीमत और किसानों के खरीदे अनाज को रखने में आपराधिक लापरवाही. खाद की कमी तो बोवनी शुरू होने से दिसंबर के अंत तक बनी हुई है. सरकार दिल्ली दौड़ लगा रही है और बयान कुछ और दे रही है, विधानसभा में कुछ और बता रही है. उधर विदिशा में खुले में रखा धान भीगा तो मंदसौर में बेमौसम की बारिश ने प्याज किसानों पर कहर ढाया है. कृषि उपज मंडी में रखी किसानों की प्याज की फसल भीग गई, जिसकी वजह से उसे कोई कौड़ियों में भी खरीदने को तैयार नहीं है.
आगर मालवा जिले के सोयत कलां में किसान यूरिया के लिए परेशान हो रहे हैं. सुबह से दुकान पर लाइन लग रही हैं. पुलिस की मौजूदगी में खाद वितरण हो रहा है. फसल की बुवाई हो गई है, लेकिन खाद की किल्लत बनी हुई है. महिलाएं-बच्चों को भी लाइन में लगना पड़ रहा है. वहीं मंदसौर की मंडी में बेमौसम बरसात ने प्याज पर कहर ढाया है. जो प्याज आप 20-25 रु. प्रति किलो खरीद रहे हैं, उनके लिये इन किसानों को 50 पैसे प्रति किलो से लेकर ₹1 प्रति किलो तक ही मिल रहा है.
भालोट के किसान भरत ने बताया कि मंडी में आए 3 दिन हो चुके हैं लेकिन अब तक उनकी फसल को कोई खरीददार नहीं मिला है. यही हाल रहा तो फसल मंडी में छोड़कर जाने को मजबूर होंगे. फसल को 50 पैसे प्रति किलो से लेकर ₹1 प्रति किलो के दाम मिल रहे हैं. इसमें लागत भी नहीं निकल रही. मंडी तक लाने का भाड़ा भी नहीं मिल पा रहा है. क्या करें, कई किसान फसल छोड़कर गए हैं, हम भी छोड़ जाएंगे.
वहीं दूसरे किसान ज्ञानचंद ने बताया कि हमारी फसल 50 पैसे से लेकर ₹1 किलो तक बिक रही है, जबकि एक भी कम है. किसान को 40 से ₹50 का खर्च आता है. हम कृषि उपज मंडी अपनी फसल लेकर आते हैं तो प्रति कुंटल लगभग ₹100 का हमारा बड़ा होता है और जब ₹50 कुंटल में फसल बेच रहे हैं तो हमें जेब से ₹50 कुंटल का भुगतान करना पड़ रहा है.
बता दें कि विदिशा मंडी में 953 मिट्रिक टन धान, जिसकी कीमत लगभग डेढ़ करोड़ रुपये है, वो दो साल से रखी है और सड़ चुकी है. सरकार कहती है कि खाद की किल्लत नहीं है. किसानों की दूसरी दिक्कत पर सवाल उसे कांग्रेस की साजिश लगती है.
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कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि ये तो कांग्रेसी हैं जो सरकार को बदनाम कर रहे हैं. मांग और पूर्ति पर भाव रहते हैं. खाद 2400-2800 बोरी हो गया. पूरी सब्सिडी भारत सरकार ने दी है. जितना उपलब्ध कराया, उसका व्यस्थित वितरण हमने किया है. वहीं सदन के अंदर मंत्रीजी ने कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के सवाल पर लिखित जवाब में कहा है कि रबी सीज़न में यूरिया का लक्ष्य 20 लाख मेट्रिक टन है, मिला है 11.07 लाख मेट्रिक टन. डीएपी का लक्ष्य है 8.50 लाख मेट्रिक टन, मिला है 5.40 लाख मेट्रिक टन. एनपीके का लक्ष्य है 2.35 मेट्रिक टन, मिला है 3.44 लाख मेट्रिक टन. पोटाश का लक्ष्य है 0.80 मेट्रिक टन मिला है 0.56 लाख मेट्रिक टन.
एक और सरकार बार बार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती रही है. लेकिन विधानसभा में कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल और नर्मदा प्रसाद प्रजापति के सवाल के जवाब में सरकार ने कहा है कि राज्य में किसानों की आय और इसमें वृद्धि से संबंधित कोई रिकॉर्ड ही नहीं है.
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