देश में सबसे पहले उज्जैन के महाकाल खेलेंगे होली

रंगों का पर्व होली नजदीक है। कुछ दिन रंगों की बौछार होगी और जन-मन इससे सराबोर होगा।

Update: 2022-03-15 11:33 GMT

रंगों का पर्व होली नजदीक है। कुछ दिन रंगों की बौछार होगी और जन-मन इससे सराबोर होगा, लेकिन सबसे ज्यादा उत्साह है महाकाल मंदिर में। देश में सबसे पहले महाकाल के आंगन में होली मनेगी और 17 मार्च की शाम को होलिका दहन होगा। महाकाल को गुलाल अर्पित किया जाएगा। पुजारी फूलों की होली खेलेंगे।

दरअसल, आगामी दिनों में होली का त्योहार है। कोरोना के कारण पिछले दो सालों से रंगों का यह पर्व फीका ही था लेकिन इस बार इसे उत्साह और उल्लास से मनाए जाने की तैयारी है। इसके चलते महाकाल मंदिर में भी तैयारियां होने लगी हैं। देश में सबसे पहले महाकाल के आंगन में ही होली मनाई जाती है। इस बार 17 मार्च को शाम 7 बजे होलिका दहन किया जाएगा। महाकाल मंदिर में होली खेली जाएगी और महाकालेश्वर को हर्बल गुलाल अर्पित किए जाएंगे। सबसे पहले यहां होलिका दहन किया जाएगा। महाकाल को हर्बल गुलाल अर्पित कर मंदिर में होली खेलने की शुरुआत होगी। साथ ही होली और धुलेंडी के दिन भस्मारती के समय सुबह 4 बजे गुलाल से होली खेली जाएगी। रंगपंचमी पर टेसू के फूलों से बनाए गए प्राकृतिक रंगों से होली खेली जाएगी। कोरोना के कारण होली व रंगपंचमी पर श्रद्धालु महाकाल मंदिर नहीं जा पा रहे थे, लेकिन इस बार उम्मीद है कि रोक हटने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकाल के आंगन पहुंचेंगे और होली उत्सव में शामिल होंगे।
होली से बदलेगी महाकालेश्वर की दिनचर्या
इधर होली के दिन से ही महाकालेश्वर की दिनचर्या भी बदल जाएगी। महाकाल मंदिर में प्रतिदिन होने वाली आरतियों के समय में होली से परिवर्तन हो जाएगा। महाकाल को ठंडे पानी से स्नान करवाने का सिलसिला शुरू होगा। मंदिर के पुजारियों के अनुसार प्रतिवर्ष दो बार बाबा महाकाल की आरतियों के समय में बदलाव किया जाता है। यह परिवर्तन परंपरा अनुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 17 मार्च को होलिका दहन के दिन किया जाएगा। आरतियों के समय में आधा घंटे का बदलाव होता है और दिनचर्या बदल जाती है। संध्याकालीन पूजा शाम 5 बजे से ही होगी। अश्विन मास की पूर्णिमा तक आरतियों का यह क्रम चलेगा। बाबा महाकाल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से से गर्म जल से स्नान करना शुरू करते हैं। होली तक यही चलता है। इसके बाद होली से चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से अश्विन पूर्णिमा तक रोज भगवान महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाता है। होली के दिन से प्रथम भस्म आरती - प्रात: 4 से 6 बजे तक, द्वितीय दद्योदक आरती प्रात: 7 से 7:45 बजे तक, तृतीय भोग आरती प्रात: 10 से 10: 45 बजे तक, चतुर्थ संध्याकालीन पूजन शाम 5 से 5:45 बजे तक, पंचम संध्या आरती शाम 7 से 7:45 बजे तक और शयन आरती रात्रि 10:30 से 11:00 बजे तक होगी।
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