इतिहास रचकर इंदौर लौटी मप्र की टीम के स्वागत के लिए शहर ने बिछा दिए पलक पावड़े, फूलों से सजाई राह और पंखुडियों से किया स्वागत
बेंगलुरू में इतिहास रचकर इंदौर लौटी मप्र की टीम के स्वागत के लिए शहर ने पलक पावड़े बिछा दिए।
बेंगलुरू में इतिहास रचकर इंदौर लौटी मप्र की टीम के स्वागत के लिए शहर ने पलक पावड़े बिछा दिए।फूलों से राह सजाई और पंखुडियों से स्वागत किया। रणजी टूर्नामेंट के 88 साल के इतिहास में ये पहला मौका है जब मध्यप्रदेश की टीम ने यह खिताब जीता है। मप्र की टीम ने ने फाइनल मुकाबले में 41 बार की विजेता मुंबई को 6 विकेट से पराजित कर ट्रॉफी पर कब्जा किया
बेंगलुरू से सोमवार रात को मप्र की टीम इंदौर पहुंची। एयरपोर्ट से लेकर खजराना गणेश मंदिर तक विजेताओं का भव्य स्वागत किया गया। मध्यप्रदेश प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ ही इंदौर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय भी एयरपोर्ट पहुंचे थे। जहां उन्होंने विजेता टीम को जीत की बधाई दी और उनका स्वागत किया। एयरपोर्ट से टीम के सभी खिलाड़ी, कोच और स्टाफ बस में सवार होकर खजराना गणेश मंदिर पहुंचे। जहां सभी ने भगवान गणेश के दर्शन और पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद लिया। इस दौरान जोरदार आतिशबाजी कर विजेता खिलाड़ियों का स्वागत किया गया।
41 बार की चैम्पियन मुंबई को हराने वाली मप्र टीम के कोच चंद्रकांत पंडित ने खजराना गणेश से मन्नत मांगी थी। इसलिए इंदौर पहुंचते ही पूरी टीम खजराना मंदिर पहुंची और भगवान गणेश के दर्शन कर जीत के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। इस दौरान खेल जगत की हस्तियों के अलावा कई गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे। इसके बाद टीम के खिलाड़ी होलकर स्टेडियम पहुंचे जहां स्वागत हुआ। यहां आतिशबाजी की गई। टीम ने ट्रॉफी के साथ फोटो खिंचवाया।
बता दें कि बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में मध्यप्रदेश रणजी टीम ने इतिहास रचा। रणजी ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में मध्यप्रदेश ने मुंबई को 6 विकेट से हराकर पहली बार खिताब जीता। मध्यप्रदेश की टीम 1954-55 से रणजी ट्रॉफी खेल रही है। पहली बार उसने यह खिताब जीता है।