इंदौर के 60 से ज्यादा निजी अस्पताल में आग से निपटने के भी इंतजाम नहीं
सिर्फ जबलपुर ही नहीं देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में निजी अस्पतालों का बुरा हाल है.
सिर्फ जबलपुर ही नहीं देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में निजी अस्पतालों का बुरा हाल है.शहर में 60 से ज्यादा निजी अस्पताल ऐसे हैं जो तय मापदंड पूरे नहीं कर रहे हैं. यहां तक कि आग से निपटने के भी इंतजाम नहीं हैं. नगर निगम ने इन्हें फायर एनओसी नहीं दिया है. सूचना के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. अगर इनमें से किसी में कोई घटना हो जाए तो फिर जबलपुर जैसा कांड हो सकता है.
ठोकर के बाद ठाकुर बनने की कहावत को इंदौर के सरकारी विभाग सही साबित कर रहे हैं. विभाग कोई भी हो जब तक कोई बड़ी घटना नहीं हो जाती तब तक अफसरों की नींद नहीं खुलती. कुछ ऐसा ही हाल ही में हुई घटना के बाद हुआ. मध्यप्रदेश सरकार के सरकारी विभाग हमेशा घटनाओं के बाद ही जागते हैं.
जानलेवा लापरवाही
जबलपुर में हुए निजी अस्पताल की घटना के बाद इंदौर में अब भी लापरवाही बनी हुई है. इस समय आग लगने पर कुआं खोदने जैसी स्थिति में प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम बना हुआ है. शहर के अस्पतालों की पड़ताल चौंकाने वाली नज़र आती है. शहर में 60 से ज्यादा अस्पताल हैं, जिनके पास फायर एनओसी ही नहीं है. यानि इन अस्पतालों में आग से निपटने के इंतजाम नहीं हैं.
3 महीने से स्वास्थ्य विभाग को पता है
नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग को तीन महीने पहले बता चुका है कि इन अस्पतालों को फायर एनओसी देना संभव नहीं है. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग ने अब तक बिना एनओसी चल रहे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. इस पर अब जल्द ही एक्शन लेने के लिए कलेक्टर मनीष सिंह ने अधिकारियों को आदेश दिए हैं. इन 60 अस्पतालों में से ज्यादातर आवासीय इमारतों में चल रहे हैं. आग लगने की स्थिति में इनमें बचाव के साधन नहीं हैं. कुछ तो इतनी कम जगह में बने हैं कि आग लगने की स्थिति में भीतर फंसे लोगों को बाहर निकलने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. कुछ अस्पताल संकरी सड़क पर बने हैं जहां आग लगने पर दमकल पहुंच ही नहीं सकती.
अब जागा प्रशासन
कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है सभी अस्पतालों को बंद नहीं किया जा सकता. लेकिन,ज़रूरी है कि सेफ्टी प्रिकॉशन रखे जाएं. सीएमएचओ डॉ सेतिया का कहना है अब सख्ती के साथ कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा. नियम के खिलाफ कोई भी जांच नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा है अस्पतालों में आने-जाने के लिए दो दरवाज़े होने चाहिए, इस पर सख्ती से अमल कराया जाएगा.