सांचेत में पांच पीढ़ियों से एक ही छत के नीचे भदौरिया परिवार एक साथ रह रहा संयुक्त परिवार की तरह
रायसेन। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस जो कि हर वर्ष 15 मई को मनाया जाता है। जिसमें कस्बा सांचेत में एक ऐसा परिवार भी है जो कि सांचेत सहित आसपास के जिलों में एक अपनीएक अलग पहचान बनाए हुए हैं ।पूरा गांव इस संयुक्त परिवार की चर्चा करता है। लोग इस भदौरिया लोधी परिवार से कुछ शिक्षा लेनी चाहिए। कस्बा सांचेत जिसकी आबादी लगभग 5000 से भी ज्यादा है और इसी कस्बे में एक ऐसा परिवार है जो कि पांच पीढ़ियों से जागरूक संयुक्त परिवार की तरह एक ही छत के नीचे मिलजुलकर रह रहा है । इस भदौरिया परिवार में आज तक आपस में ना तो झगड़ा हुआ है और अपनी नई पीढ़ी को भी यही सिखाया जा रहा है। इस परिवार से सीखने को बहुत कुछशिक्षा संस्कार मिलता है ।भागमभाग भरे जीवन में ऐसे परिवार देखने को बहुत ही कम मिलेंगे।रायसेन जिले के कस्बा सांचेत में एक परिवार पांच पीढ़ियों से संयुक्त रूप से रह रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल में भी इन परिवारों का भोजन एक साथ बनता रहा है। कोरोना भी इन परिवारों को अलग-अलग नहीं कर सका। एक साथ रहने, भोजन बनाने के बाद भी यहां किसी भी सदस्य को कोरोना संक्रमण छू नहीं सका है। सभी सदस्य संक्रमण से बचाव के लिए कोविड गाइड लाइन का पालन जरूर करते थे ।
सांचेत के भदौरिया परिवार में हैं 25 सदस्य है ...…
जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर कस्बा सांचेत में से स्व. पन्नाालाल भदौरिया का संयुक्त परिवार एक साथ रह रहा है। इस परिवार में वर्तमान में 25 सदस्य एक ही परिसर में निवास करते हैं। तीसरी पीढ़ी के मुखिया स्व,भगवान सिंह भदौरिया का निधन वर्ष 2023 में हुआ है ।लेकिन इन्होंने अपनी भूमिका बखूबी निभाई है ।अपने परिवार को कभी भी नही बिखरने दिया ।परिवार के सभी को उच्च शिक्षा दी अपने बच्चों को अपने करियर बनाकर उनके मुकाम तक पहुंचाया। आज इनका पूरा परिवार इनकी कमी को महसूस कर रहा है ।इनकी धर्म पत्नी श्रीमती सरस्वती बाई ने बताया कि पांच पीढ़ियों से उनका परिवार संयुक्त रूप से रह रहा है। दूसरी पीढ़ी के सदस्य अमरसिंह भदौरिया पूर्व जनपद सदस्य रहे हैं ओर इन्होंने एक प्राइवेट स्कूल भी चलाया है। इनके द्वारा पढ़ाए हुए छात्र छात्राओं मै आज कुछ छात्र छात्राएं सरकारी शिक्षक और सरकारी नौकरी में भाई है ।इनके छोटे भाई भारत सिंह भदोरिया खेतीबाड़ी करते हैं ।सबसे छोटे जसवंत भदोरिया बिजली कंपनी में लाइनमैन हैं। जो की दिन देखते है ना रात ना गर्मी ना सर्दी और ना बरसात। कस्बा सांचेत में उपभोक्ताओं को बिजली मुहैया के लिए घर जैसे काम करते है। तीसरी पीढ़ी के शिवम इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। अन्य सदस्य कृषि तथा अन्य कार्य करते हैं। पूरे परिवार का भोजन एक साथ बनता है। एक समय में पांच किलो आटा व दो किलो सब्जी खर्च होती है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सभी सदस्य पूरी तरह से गाइड लाइन का पालन करते आ रहे हैं। अमरसिंह भदौरिया ने बताया कि जब भी कोई घर से बाहर जाता है तो मास्क लगाते हैं, सैनिटाइजर का उपयोग करते हैं। वापस आने पर स्नान करते हैं। शारीरिक दूरी का भी ध्यान रखा जाता है। अभी तक किसी भी सदस्य को कोरोना संक्रमण छू भी नहीं सका है।इस परिवार के सभी भाइयों में बड़े अमर सिंह भदौरिया ने बताया की जिंदगी जीने में जो अच्छे आनंद की अनुभूति होती है जो परिवार एक सांथ रहता है उस से पूछो वही समझ सकता है।
इस संयुक्त परिवार
वालों को अमर सिंह भदौरिया यह सन्देश देना चाहते है अगर जो भी परिवार संयुक्त नहीं है और अगर रहना भी नहीं चाहते है तो इस बात का जरूर ध्यान दें बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ गौ माता की रक्षा करो गौ माता की सेवा करो पर्यावरण की रक्षा करो और एक वृक्ष लगाओ और अपने बच्चों की अच्छी परवरिश कर अच्छी शिक्षा दें। मंजले भाई भारत सिंह भदौरिया का कहना है हमें जो मिलकर रहने में जो सुकून मिलता है वो आनंद और कही नहीं।
सबके लाडले जसवंत सिंह भदौरिया का कहना है हमें हमारे पिताजी ने वह सबकुछ दिया आज हम सब भाई पढेलिखें उन्होंने हमारी पढ़ाई में जी जान से हमारी मदद की ।आज हम अपने अपने पैरो पर खड़े है. लेकिन आज हमको हमारे पिता जी की कमी महसूस होती है। आज हमे वह इस बात की शिक्षा दे कर गए हैं हमारा परिवार एक संयुक्त परिवार है और हम इस परंपरा को कभी नहीं तोड़ेंगे ओर यह परिवार एक शिक्षित परिवार है और नई पीढ़ी में सबसे ज्यादा पढ़ाई पर विशेष जोर दिया जाता है।