पशुपालन और डेयरी उद्योगों पर राज्य सरकार का फोकस लेकिन मैदानी अमला पर्याप्त नहीं
रायसेन। पशु चिकित्सकों, क्षेत्रीय चिकित्सा अधिकारियों और अटैंडर की कमी से भी जूझ रहा जिला पशु पालन विभाग। इन पशु औषधालयों में कोई पदस्थ नहीं....
जिले में 38 पशु औषधालय तो हैं। लेकिन अधिकांश केवल नाम के हैं। कई में न तो पशु चिकित्सा क्षेत्रीय अधिकारी यानी तृतीय श्रेणी कर्मचारी मौजूद है और न ही अटेंडर यानी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी। ऐसे में 30 से अधिक औषधालय बंद से रहते हैं। उप संचालक पशु विभाग ने कागजों में तो अधिकांश औषधालयों में हर 2-4 दिन में किसी कर्मचारी के पहुंचने का इंतजाम किया है। लेकिन दूर दराज के क्षेत्रों में और एक-एक कर्मचारी पर तीन-चार औषधालयों का जिम्मा होने से वे ये दायित्व भी नहीं निभा पाते। नतीजा यह होता है कि औषधालयों में ताला डला रहता है और पशु पालक अपने मवेशियों का इलाज कराने के लिए परेशान होते रहते हैं। जिन पशु औषधालयों में पशु चिकित्सा क्षेत्रीय अधिकारी यानी एवीएफओ भी पदस्थ नहीं है, उनमें गैरतगंज देवनगर गढ़ी सांची सलामतपुर दीवानगंज गौहरगंज सुल्तानपुर बेगमगंज सिलवानी बाड़ी बरेली आदि के पशु औषधालय शामिल हैं।पशु पालन एवं डेयरी विभाग में स्टॉफ की बहुत कमी है। करीब 40-50 प्रतिशत स्टॉफ से काम चला रहे हैं। चार पशु चिकित्सालयों में चिकित्सक और कई औषधालयों में क्षेत्रीय पशु चिकित्सा अधिकारी या अटेंडर तक नहीं है। ऐसे में ज्यादातर दारोमदार चलित पशु चिकित्सा इकाई पर निर्भर है।-डॉ एके शुक्ला उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं रायसेन