Sehore: नमकीन कारखाने में लगी आग, 50 लाख का नुकसान

Update: 2024-10-19 10:31 GMT
Sehore सीहोर: शहर के देवनगर कॉलोनी में शनिवार सुबह एक नमकीन कारखाने में भीषण आग लग गई। हादसे में नमकीन कारखाने के साथ एक किराना दुकान भी जलकर राख हो गई। आग के कारण दूसरी मंजिल पर रहने वाले लोगों ने घर से बाहर निकलकर अपनी जान बचाई। सूचना मिलने पर तीन दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। आगजनी में लगभग 50 लाख रुपये का नुकसान होने का अनुमान जताया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, शनिवार की सुबह देवनगर कॉलोनी स्थित एक नमकीन कारखाने से धुआं उठते लोगों ने देखा। इसके बाद, कारखाने की दूसरी मंजिल पर रहने वाले देवनारायण को इसकी सूचना दी गई, जिन्होंने तुरंत कारखाने के मालिक राकेश राय और फायर बिग्रेड को सूचित किया। आग ने जल्द ही विकराल रूप ले लिया। फायर बिग्रेड के आने से पहले लोगों ने अपने-अपने तरीकों से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग पर काबू नहीं पाया जा सका। दमकल गाड़ियों के एक के बाद एक मौके पर पहुंचने के बाद ही आग पर काबू पाया जा सका।
आग में कारखाने के पास स्थित एक किराना दुकान भी जलकर खाक हो गई। वहीं, दूसरी मंजिल पर रहने वाले मकान मालिक देवनारायण और उनके परिवार के लोग घर से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए। घटना की जानकारी मिलते ही पटवारी और तहसीलदार भी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। साथ ही नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर ने भी मौके पर पहुंचकर पीड़ित परिवार को सांत्वना दी।
करीब डेढ़ घंटे बाद पहुंची फायर ब्रिगेड
नमकीन कारखाने के मालिक राकेश राय ने बताया कि आग लगने से 50 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। कारखाने में दीपावली की तैयारी के लिए कच्चा माल और तैयार माल रखा हुआ था, जो पूरी तरह जलकर खाक हो गया। उन्होंने बताया कि शुक्रवार रात लगभग साढ़े 11 बजे तक कारखाने में काम चल रहा था। सुबह अचानक पांच बजे मकान मालिक देवनारायण का फोन आया कि कारखाने में आग लग गई है। तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई, लेकिन दमकल गाड़ी सूचना मिलने के करीब डेढ़ घंटे बाद पहुंची। अगर, फायर ब्रिगेड समय पर पहुंच जाती तो इस बड़ी आगजनी की घटना को टाला जा सकता था। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट होने की संभावना जताई जा रही है।
रहवासी इलाके में कारखाने का संचालन जांच का विषय
देवनगर कॉलोनी जैसे रहवासी इलाके में इतने बड़े कारखाने का संचालन अपने आप में एक बड़ा सवाल है। आखिरकार, इस रहवासी इलाके में कारखाना कैसे चल रहा था और इसके लिए किसने अनुमति दी? वहीं, फूड डिपार्टमेंट की टीम ने इसे क्यों अनदेखा किया, यह भी जांच के बाद ही पता चल पाएगा।
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