नर्मदा जलधारा बचाने स्थानीय स्तर के पौधे लगाने की तैयारी

वनविभाग स्थानीय स्तर के पौधे लगाने की तैयारी कर रहा है।

Update: 2022-05-10 07:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :अमरकंटक से उद्गमित हुई नर्मदा की सकरी हो रही जलधारा को बचाने और नर्मदा रीजन में जलस्तर बढ़ाने वनविभाग स्थानीय स्तर के पौधे लगाने की तैयारी कर रहा है। जिसमें वर्तमान में वनविभाग ने अमरकंटक में ११० हेक्टेयर भूमि पर लगे यूके लिप्ट्स के पेड़ों की कटाई कर डाली है। यहां आगामी जुलाई माह के दौरान पौधारोपण किए जाएंगे। इसके लिए वनविभाग ने १०० हेक्टेयर भूमि पर ८७ हजार ५०० पौधों के रोपण किए जाने का शासन को प्रस्ताव भेजा है। जिसकी स्वीकृति मिलने पर बारिश के मौसम में स्थानीय और औषधियुक्त पौधे लगाए जाएंगे। इनमें बांस, नीम, आंवला, साल, सौगान सहित अन्य औषधि वाले पौधे होंगे।

बताया जाता है कि नर्मदा कुंड सहित आसपास के क्षेत्रों में जलस्तर बढ़ाने वनविभाग अमरकंटक वनपरिक्षेत्र के ३५० हेक्टेयर में लगी यूके लिप्टस के पेड़ों की कटाई करेगी। यहां कटाई क्षेत्र में किए जाने वाले कार्य के आधार पर आगामी वर्ष में कार्यक्षेत्र का निर्धारण करते हुए अगले ८-१० वर्षो में सभी पेड़ों की कटाई कर पौधारोपण भी किया जाएगा। यूके लिप्टस के पेड़ों की कटाई पोंडकी घाट के उपरी हिस्से से लेकर नर्मदा कुंड के आसपास के क्षेत्र और राजेन्द्रग्राम तक फैले नर्मदा रीजन को प्रस्तावित किया गया है। इसमें वनपरिक्षेत्र अमरकंटक में ही लगभग ९५ हेक्टेयर रकबे में पौधारोपण प्रस्तावित है। एसडीओ वन विभाग राजेन्द्रग्राम मान सिंह मरावी ने बताया कि वनीय रिकार्ड के अनुसार वर्ष १९७५ के बाद इस मप्र-छग अमरकंटक वनपरिक्षेत्र रीजन में यूकेे लिप्टस के पौधों की रोपाई नहीं हुई है।

उन्होंने बताया कि लिप्टस के पेड़ पर्यावरण की दृष्टि से जल सोखने और खुद को हरा-भरा रखने वाले पौधे माने जाते हैं। इनके जड़ आसपास के जल का अधिक मात्रा में शोषण करते है। नर्मदा सहित आसपास के क्षेत्रों में यूके लिप्ट्स और लेंटाना के पौधे से निकलने वाले तरल अम्ल आसपास कोई पौधा नहीं पनपे देते हैं। इससे वनीय क्षेत्र भी प्रभावित होते हैं। जबकि साल के पेड़ बारिश के दौरान जल को अवशोषित कर बाद में बूंद-बूंद स्त्रावित करते हैं। इससे लगातार जल का स्त्राव होने से जलस्तर में वृद्धि होगी।

बॉक्स: औषधियुक्त पौधों को बचाने की कवायद
एसडीओ वन राजेन्द्रग्राम बताते हैं कि अमरकंटक में 350 हेक्टेयर भूमि पर लगे यूके लिप्ट्स के पेड़ों की कटाई की योजना है। अब तक 110 हेक्टेयर पर लगे पेड़ों की कटाई किया गया है। शेष 240 हेक्टेयर है। इन पूरे रकबे पर लगे पेड़ों की कटाई में 9-10 वर्ष का समय लग जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष अमरकंटक के साधु-संतों व पर्यावरणविदें ने नर्मदा जलसंरक्षण व जड़ी बुटी के पेड़-पौधों को बचाने के प्रस्ताव रखे थे। जिस पर सीएम ने यूके लिप्ट्स की कटाई और स्थानीय साल, बांस, आम सहित फलदार व औषधियुक्त पौधों के रोपण के निर्देश दिए थे। वनविभाग फेज-टू-फेज के रूप पेड़ों की कटाई करेगा। वहीं पौधारोपण कर सुरक्षा के लिए फेंसिंग करने की योजना बनाई है।
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