सिया से मिली अनुमति फिर भी चालू नहीं हुई जिले की रेत खदानें, जिले की खदानों पर रोक
रायसेन. जिले के नर्मदा अंचल में 56 रेत खदानें है।पिछले वर्ष जून माह के बाद लंबे समय तक ये खदानें ठेका समाप्त होने के कारण बंद रही। लेकिन अब जिले की सभी रेत खदानों का ठेका भी हो चुका और एमपी स्टेट एनवायरनमेंट इपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) की अनुमति भी मिल गई। बावजूद इसके रेत ठेकेदार द्वारा खदानों से डंपर मालिकों को रेत नहीं दी जा रही। ऐसे में डंपर मालिक होशंगाबाद, सीहोर और नरसिंहपुर जिले सेमहंगी रेत भरकर ला रहे। इसका नतीजा यह हो रहा कि भवन निर्माण कराने वाले आमजन को महंगी रेत खरीदना पड़ रही है। क्योंकि होशंगाबाद, सीहोर और नरसिंहपुर जिले से रेत लाने के कारण रेत के अधिक दाम चुकाने पड़ रहे हैं। बाजार पहुंचने पर रेत के दाम ज्यादा हो जाते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस समय रायसेन शहर में लोगों को 30 से 32 हजार रुपए प्रति डंपर रेत खरीदनी पड़ रही है। जबकि डंपर मालिक रायसेन जिले की खदानों से यही रेत लेकर आते तो उन्हें बाजार में 25 से 27 हजार रुपए प्रति डंपर में उपलब्ध हो सकती थी। ऐेसे में मकान बनवा रहे लोगों को करीब पांच से सात हजार रुपए ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं। तो ग्रामीण अंचल में यह दाम 35 हजार रुपए से अधिक पहुंच जाते हैं।
रेत के दाम बढ़ने से मकान बनाने में आ रही ज्यादा लागत।
वाहन को भी पहुंच रहा नुकसान .....
रेत के डंपर मालिकों का कहना है कि इन दिनों डंपर चलाना बेहद कठिनाई भरा हो गया है। क्योंकि जब भी कार्रवाई होती है तो सिर्फ डंपरों को ही पकड़ा जाता है। वहीं रायसेन जिले में खदानों से रायॅल्टी के साथ रेत ठेकेदार महंगी रेत बेच रहा है।