एनएमसी ने दिया सुझाव, हिंदी में पढ़ाई के बाद अब खादी का एप्रिन पहनेंगे डॉक्टर

शिक्षा में लगातार भारतीयकरण की दिशा में बदलाव की बात हो रही है। इसबीच

Update: 2022-06-09 06:00 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शिक्षा में लगातार भारतीयकरण की दिशा में बदलाव की बात हो रही है। इसबीच अब चिकित्सा शिक्षा की भाषा में हिंदी को शामिल करने के बाद अब देशीकरण की ओर एक और कदम बढ़ाने की तैयारी है। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने खादी का इस्तेमाल किए जाने की पहल की है। इसके लिए एनएमसी ने देश के सभी मेडिकल कॉलेजों को पत्र लिखकर खादी का इस्तेमाल किए जाने का सुझाव दिया है।

एनएमसी ने पत्र में सुझाव दिया है कि डॉक्टरों और नर्सों के एप्रिन के साथ ही हॉस्पिटल में इस्तेमाल किए जाने वाला हर कपड़ा जैसे चादर, पर्दे इत्यादि खादी के हों तो अच्छा रहेगा। पत्र में गाउन, पिलो कवर जैसी चीजों में भी खादी का इस्तेमाल किए जाने की वकालत की है। एनएमसी ने कहा है कि खादी अन्य तरह के कपड़ों से ज्यादा सुविधाजनक है और विभिन्न मौसमों में भी इस्तेमाल की जा सकती है।
यह बोले विशेषज्ञ
विशेषज्ञों के मुताबिक, खादी के कपड़े स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी अनुकूल हैं। उनका कहना है कि डॉक्टरों के लिए एप्रिन यानी सफेद कोट ड्यूटी के दौरान पूरे समय पहनना अनिवार्य होता है, ऐसे में अगर खादी का एप्रिन पहना जाएगा तो डॉक्टरों को ठंड में गर्मी और गर्मी में ठंडक का अहसास होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि खादी के इस्तेमाल से डॉक्टरों की कार्यक्षमता में भी इजाफा होगा।
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