आरक्षिका ज्योति चढ़ार की आत्महत्या केस में आया नया फैसला , सभी आरोपि हुए बरी
दमोह : मामला दमोह के नोहटा थाना में पदस्थ आरक्षिका ज्योति चढ़ार के आत्महत्या प्रकरण से जुड़ा हुआ है। ज्योति ने फरवरी 2023 में अपनी शादी के 04 वर्ष बाद अपने ही शासकीय आवास पर आत्महत्या कर ली थी। मायके पक्ष के बयानों के आधार पर पुलिस द्वारा आरक्षक पति अमित चढ़ार, देवर नितिन चढ़ार पुलिस आरक्षक एव शिक्षिका सास मीना को दहेज हत्या का आरोपी बना दिया गया था।
उक्त संबंध में जिला न्यायाधीश आरती शुक्ला के न्यायालय में मामले की सुनवाई हुई। मामले में पुलिस की ओर से 10 गवाह पेश किए गए। मायके पक्ष का न्यायालय में आरोप था कि अमित, नितिन व सास मीना ने 25 लाख नकद व फोर व्हीलर की मांग शादी के बाद लगातार की गई। जिसके चलते ज्योति ने ससुराल वालों की क्रूरता व प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। वहीं बचाव पक्ष ने न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुत किए कि ज्योति के पिता ने भी आत्महत्या की थी एव मृतिका ज्योति का मानसिक इलाज डॉ किरपेकर के यहां नागपुर में चलता था।
बाइपोलर मेंटल डिसऑर्डर से गुजर रही थी मृतका
आत्महत्या के पूर्व ज्योति के दो माह के बच्चे की असमय मौत हो गई थी जिससे वह तनाव से गुजर रही थी। इस मामले में आरोपियों की ओर से डॉक्टर किरपेकर की गवाही न्यायालय में कराई गई। जिन्होंने स्पष्ट किया के ज्योति बाइपोलर मेंटल डिसऑर्डर से गुजर रही थी, इस रोग में आत्महत्या के विचार आना और आत्मघाती होना संभव होता है।
डिफेंस सिस्टम बना बेगुनाहों को बचाने का हथियार
दरअसल दमोह जिले में जरुरतमंद जेल में बंद कैदियों की प्रभावी सुनवाई हेतु लीगल एड डिफेंस कार्यालय काम कर रहा है। इस कार्यालय के चीफ डिफेंस कॉउंसिल मनीष नगाइच ने बताया कि आरक्षक अमित ने जेल से कानूनी सहायता चाही थी, जिस पर डिफेंस सिस्टम ने उसकी ओर से पैरवी कर प्रभावी पक्ष न्यायालय में रखा व मृतका की आत्महत्या के वास्तविक कारणों को डॉक्टर की गवाही से वे सबित कर सके। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को एव कानूनी रिचर्स को न्यायालय में रखने का काम असिस्टेंट लीगल कॉउंसिल तुहिना मजूमदार, ऋचा त्रिपाठी व शिवानी पाराशर ने किया। डिफेंस सिस्टम के जरिये बेगुनाह न्यायालय से बाइज्जत बरी हो सका।
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