Raisen रायसेन/सिलवानी। जिले की तहसील सिलवानी को को जिला बनाने की मांग अब आहिस्ता- आहिस्ता जोर पकड़ने लगी हैं।सिलवानी जिला बनाओ समिति की बैठकों में आंदोलन की मांग जोर पकड़ने लगी है।
सिलवानी में जिला बनने की अपार संभावनायें .....
0 सिलवानी ने दिया है देश का प्रथम नागरिक राष्ट्रपति
0 रायसेन जिले का एकमात्र राजमार्ग चौराहा सिलवानी में।
0 वनों से आच्छादित है तहसील, वन सम्पदा से लाखों की राजस्व शासन को मिलती है।
0 जिला मुख्यालय से 135 दूर है तहसील के ग्राम।
0 विधानसभा मुख्यालय है सिलवानी
0 क्षेत्रीय सांसद एवं पूर्व विधायक से नागरिकों को अपेक्षायें.....
0 सिलवानी जिला बनाओ समिति ने की जिला बनाने की पहल रखी।
हालांकि सिलवानी तहसील को जिला बनाने की मांग नागरिक वर्षो से करते आ रहे है। नागरिको की यह मांग जायज भी है कि सिलवानी को जिला मुख्यालय बनाया जाये। इस मांग को लेकर कई दफा शासन प्रशासन एवं उनके नुमांइदों को आवेदन ज्ञापन सौंपे गये। लेकिन ना तो शासन और ना ही जनप्रतिनिधियों ने इस मांग पर विचार करने का साहस किया। अब प्रदेश की डॉ मोहन सरकार द्वारा जिला पुर्नगठन आयोग बनाया गया। जिससे नागरिकों ने पुनः सिलवानी को जिला बनाने की मांग जोरदार ढंग से उठाकर सिलवानी के हक को लेने की पहल की है। नागरिकों की इस जायज मांग को सिलवानी जिला बनाओ समिति ने शासन प्रशासन एवं उनके नुमांइदों के समक्ष दावे एवं सच्चाईयों रूप में पहुंचाने की ठानी है।
तहसील मुख्यालय सिलवानी के आदिवासी बाहुल्य ग्राम नारायणपुर, शालाबर्रू, जोहर, निभोरा आदि ग्रामों की दूरी रायसेन जिला मुख्यालय से करीब 135 किमी है। इन ग्रामीणों को शासकीय कार्य से रायसेन जाने आने में लगभग 12 से 15 घंटों का समय लगता है। सिलवानी तहसील देश की आजादी के बाद से विकास को लेकर तरसती रही है। क्षेत्र में कोई भी उद्योग धंधे नहीं है ।जिससे बेरोजगार युवक रोजगार की तलाश में जिला मुख्यालय तथा महानगरों की ओर पलायन कर रहे है। सिलवानी तहसील मुख्यालय चार तहसील के मध्य स्थित है।सिलवानी वासियों को जिला अधिकारियों से समस्याओं को लेकर मिलने तथा विभिन्न शासकीय कार्यों से 85 किलोमीटर सफर कर जिला मुख्यालय रायसेन जाना पड़ता है।
0 सिलवानी में जिला बनने की पूरी संभावनायें ..
आदिवासी बाहुल्य विकासखंड मुख्यालय सिलवानी शासन के लगभग सभी कार्यालय स्थित है। नगर में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय, तहसील कार्यालय, न्यायालय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग दो, उपवन मंडल कार्यालय, लोक निर्माण उपसंभाग कार्यालय, सिविल हाॅस्पिटल, एकीकृत आदिवासी परियोजना का जिला कार्यालय, सिंघोरी वन अभ्यारण, नगर पंचायत, स्नातकोत्तर महाविद्यालय, आईटीआई काॅलेज, दस हरिजन आदिवासी बालक बालिका छात्रावास, कृषि प्रक्षेत्र आदि कई कार्यालयों के साथ ही बैंकिंग संस्थाएं और विभिन्न मोबाइल कंपनियों के मोबाइल टॉवर भी स्थित है। वही जिला कार्यालयों के लिए आमापानी पठरिया पर लगभग 100 एकड़ शासकीय भूमि भी उपलब्ध है। सिलवानी तहसील आदिवासी बाहुल्य है तहसील की आधी आबादी में आदिवासी समाज शामिल है। हरिजन समाज क्षेत्रीय आबादी में अहम स्थान रखती है। तहसील के ग्राम तिनघरू जो कि पूर्णतः आदिवासी क्षेत्र है वहां पर बसंत पंचमी पर्व के अवसर पर प्रत्येक वर्ष प्राचीन शिव मंदिर पर पांच दिवसीय विशाल मेला लगता है। साथ ही आदिवासी मढ़ई मेलों के लिये सिलवानी तहसील प्रसिद्ध है।
सिलवानी तहसील जिसे कि कालापानी के नाम से जाना जाता था, इसी तहसील के ग्राम जैथारी की तंग गलियों में खेले कूदे एवं ग्राम की शाला प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने वाले स्व डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति पद पर पहुंचकर सिलवानी तहसील को गौरवांवित किया था। वर्तमान क्षेत्र के सांसद शिवराजसिंह चौहान ने राजनैतिक पाली का ज्यादातर समय सिलवानी तहसील में पदयात्रा एवं साईकिल यात्रा में जनसम्पर्क में बिताया है। आज भी केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सिलवानी तहसील के जैथारी सर्किल के कई ग्रामों के नाम एवं ग्रामीणों को जानते है ग्रामीणों को आज भी वह नाम से पुकारते है। वही क्षेत्रीय नागरिकों को पांव पांव वाले भैया यानि की क्षेत्रीय सांसद और केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से बहुत उम्मीदें है कि वह सिलवानी तहसील को जिला बनाने की घोषणा कर क्षेत्रवासियों के साथ न्याय करेंगें।
0 रायसेन जिले का एकमात्र राजमार्ग चौराहा सिलवानी में
तहसील मुख्यालय सिलवानी में स्थित राजमार्ग चौराहा एक ऐसा चौराहा है। जहां से इंदौर, जबलपुर, पिपरिया, छिन्दवाड़ा, सागर, भोपाल के लिये यात्री बसों का संचालन होता है। ऐसा राजमार्ग चौराहा रायसेन जिले की अन्य तहसीलों में नहीं है। इस चौराहे की यह भी विशेषता है कि चुनाव से पूर्व आयोजित होने वाली आमसभाओं में जो भी नेता इस चौराहे से सभा को संबोधित करता है। वह सांसद और विधायक के पद को सुशोभित करता है।
0 वनों से आच्छादित है तहसील, वन सम्पदा से लाखों की राजस्व शासन को मिलती है।
सिलवानी तहसील की हजारों एकड़ वन भूमि पर बेशकीमती सागौन केे वृक्ष लगे हुये है। क्षेत्र में महुआ, आचार, हर, बहेरा, आंवला, गोंद, खैर, तेन्दूपत्ता को भरपूर भण्डार है। दुर्लभ जड़ी बूटियों अटूट मात्रा में पैदा होती है सिलवानी तहसील की वन सम्पदा से प्रतिवर्ष शासन को लगभग 50 करोड़ रूपये की राजस्व की प्राप्ति होती है। किन्तु इन सब के बावजूद भी क्षेत्र का विकास न होना लोगों को खल रहा हैं ? कि आखिर क्यों सिलवानी तहसील विकास से दूर रहकर मूलभूत सुविधाओं के लिये तरस रही है।
0 तहसील मुख्यालय को रेल लाइन के सर्वे में जोडने की घोषणा।
आदिवासी बाहुल्य तहसील मुख्यालय होने तथा समूची तहसील में विकास की अपार संभावनाओं के चलते स्व. सुषमा स्वराज ने सिलवानी के विकास का बीड़ा उठाया था। इसी के चलते तहसील मुख्यालय को रेल लाइन के सर्वे में जोडने की घोषणा की थी।
0 जिला मुख्यालय से 140 दूर है तहसील के ग्राम।
सिलवानी तहसील के कई आदिवासी ग्राम मसलन जौहर, निभोरा, मेहका, शालाबर्रू, नारायणपुर आदि ऐसे ग्रामों जिनकी दूरी जिला मुख्यालय से 130 से 140 किलोमीटर दूर है। इन ग्रामों के ग्रामीणों की आजीविका साधन मेहनत मजदूरी है। ऐसे में शासकीय कार्यो से जिला मुख्यालय तक आने जाने में न केवल एक से दो दिन का समय खराब होता है, बल्कि आर्थिक क्षति भी उठाना पड़ती है।
0 विधानसभा मुख्यालय है सिलवानी
बीतें वर्षो में परिसीमन आयोग द्वारा कराये गये विधानसभा परिसीमन में सिलवानी तहसील की आबादी अधिक होने के चलते तहसील मुख्यालय सिलवानी को विधानसभा मुख्यालय बनाया गया है। जबकि पूर्व में नेताओं के राजनैतिक समीकरणों के चलते सिलवानी तहसील के दो हिस्से कर बरेली और उदयपुरा विधानसभा में जोड़ा गया था। वही सिलवानी तहसील भी पूर्व में दो लोकसभा होशंगाबाद और विदिशा संसदीय क्षेत्र में आती थी। लेकिन वर्तमान में परिसीमन आयोग ने सिलवानी को विधानसभा मुख्यालय बनाकर विदिशा संसदीय क्षेत्र में जोडकर विसंगति को समाप्त कर दिया हैं।तहसीलों की रायसेन और प्रस्तावित जिला मुख्यालय से दूरी
स्थान रायसेन से दूरी सिलवानी से दूरी
बेगमगंज 78 किमी 55 किमी
सुल्तानगंज 115 किमी 30 किमी
उदयपुरा 120 किमी 28 किमी
देवरी 140 किमी 48 किमी
बरेली 85 किमी 55 किमी
बम्होरी 55 किमी 21 किमी
खरगौन 100 किमी 35 किमी है।
दावा क्यों है मजबूत सिलवानी का --
1. सात तहसील होगी शामिल
2 लगभग 1000 गाव होंगे लाभांवित
3 लगभग 6 लाख ग्रामीण और शहरी आबादी होंगी लाभांवित
4 सात तहसील सिलवानी, बरेली, उदयपुरा, देवरी, बेगमगंज, बम्होरी, सुल्तानगंज प्रस्तावित के मध्य स्थित है।
5. सिलवानी तहसील में भाजपा का जनाधार है मजबूत।
6. 4000 वर्ग किलोमीटर एवं दो विधानसभायें होगी सम्मिलित। इसलिये क्षेत्रवासी कर रहे है जिला बनाने की मांग --
1. छह तहसीलों के मध्य स्थित है सिलवानी।
2 प्रस्तावित जिले की जनसंख्या भी है पर्याप्त ।
3. 90 प्रतिशत गांव जुड़े है सड़क से।
4. नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र की रायसेन से दूरी अधिक
5. आदिवासी बाहुल्य एवं पिछड़ा क्षेत्र है सिलवानी
6. जिला बनने से क्षेत्र में तीव्रता से विकास।
7 बेगमगंज बरेली उदयपुरा, देवरी तहसीलों में भी बहेगी विकास की गंगा।