मध्य प्रदेश: खजुराहो के बफर जोन में निर्माण गतिविधियों की जांच करेगा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर के बफर जोन में स्थित जैन मंदिरों में निर्माण संबंधी गतिविधियों के बारे में मिली शिकायत पर संज्ञान लेते हुए इस मामले की जांच करेगा।

Update: 2022-02-20 10:20 GMT

मुम्बई/खजुराहो: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर के बफर जोन में स्थित जैन मंदिरों में निर्माण संबंधी गतिविधियों के बारे में मिली शिकायत पर संज्ञान लेते हुए इस मामले की जांच करेगा।

महाराष्ट्र में जलगांव स्थित हेरिटेज फांउडेशन के निदेशक भुजंग बोबडे ने खजुराहो मंदिर में हुई निर्माण गतिविधियों के बारे में एएसआई के महानिदेशक, मध्य प्रदेश के एएसआई अधिकारियों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदि को अवगत कराया था। बोबडे ने अपनी शिकायत में कहा था कि खजुराहो कॉम्प्लेक्स के पास के इलाकों को यूनेस्को ने बफर जोन घोषित किया हुआ है। इसी बफर जोन में बने जैन मंदिरों में हाल में मरम्मत और रंगाई पुताई का काम हुआ। इसमें रसायनों और सिंथेटिक पेंट का इस्तेमाल हुआ।
बोबडे ने आइएएनएस को बताया कि इससे 11-12 शताब्दी पुराने खजुराहो की सुरक्षा को बड़ा खतरा है। खजुराहो कॉम्पलेक्स में 24 मंदिर हैं और वर्ष 1986 में यूनेस्को ने इसे वैश्विक धरोहर घोषित किया था। उन्होंने कहा कि यूनेस्को के नियमों के अनुसार, वैश्विक धरोहर के आसपास के कम से कम 300 मीटर के दायरे को बफर जोन घोषित किया जाता है। इस बफर जोन में भी इस तरह की कोई गतिविधि नहीं हो सकती है, जिससे संरक्षित वैश्विक धरोहर को नुकसान होने की संभावना हो। उन्होंने कहा कि लेकिन जैन मंदिरों ने इस नियम का उल्लंघन किया है।
गत साल दिसंबर से पिछली जनवरी के बीच स्थानीय लोग जैन मंदिरों में जारी निर्माण गतिविधियों और रंगाई पुताई को देखकर भौंचक्के रह गये। सोशल मीडिया पर भी इसकी काफी तस्वीरें और वीडियो वायरस हुईं। इन तस्वीरों में जैन मंदिरों की रंगाई पुताई और मरम्मत के बाद उनकी स्थिति दिखायी गयी है। हालांकि जैन मंदिरों में पाश्र्वनाथ और आदिनाथ मंदिर में ये कार्य नहीं किये गये।
एएसआई के जबलपुर सर्किल के प्रमुख डॉ शिवकांत वाजपेयी ने कहा कि जैन मंदिर उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं, इसी कारण वे उनकी गतिविधियों में दखल नहीं देते हैं। उन्होंने आईएएनएस ने कहा कि लेकिन जब इस मामले को लेकर चिंता जतायी जा रही है तो हमने स्थिति रिपोर्ट मांगी थी और हमें रिपोर्ट प्राप्त हो गयी है।
मंदिर के ट्रस्टी ने इस बात से साफ इनकार किया है कि उन्होंने कोई मरम्मत या निर्माण का कार्य कराया है लेकिन उन्होंने यह स्वीकार किया कि मंदिरों की पुताई की गयी है। पाश्र्वनाथ और आदिनाथ मंदिर का रंग गहरा धूसर भूरा है लेकिन जिन मंदिरों की पुताई हुई है,उनका रंग अब सफेद है।
जैन मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य रमेश जैन ने आईएएनएस को कहा कि समय समय पर मरम्मत का कार्य किया जाता है और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी इन मंदिरों को पेंट किया गया है। उन्होंने कहा कि पाश्र्वनाथ और आदिनाथ जैन मंदिर एएसआई द्वारा प्रबंधित हैं इसी कारण उनका पेंट नहीं हुआ है।
इसके अलावा प्रसिद्ध दिगंबर जैन गुरु आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज की अनुकंपा से खजुराहो मंदिर के पास यानी जैन मंदिर की सीमा से 300-350 मीटर की दूरी पर एक नया जैन मंदिर निर्मित किया जा रहा है और इसे लेकर अधिकारियों में चिंता व्याप्त है। बोबडे कहते हैं कि अगर यूनेस्को के नियम का उल्लंघन हुआ तो वह खजुराहो कॉम्प्लेक्स का वैश्विक धरोहर का दर्जा खत्म कर देगा, जो भारत के लिए शर्मिदगी की बात होगी। गौरतलब है कि चंदेल शासकों के शासनकाल के आसपास इन मंदिरों का निर्माण हुआ था। ये मंदिर 11 सदी से भी पुराने हैं।पहले खजुराहो कॉम्प्लेक्स 20 वर्ग किलोमीटर में फैला था और इनमें 85 हिंदु और जैन मंदिर बने थे। अब यहां छह किलोमीटर के दायरे में बमुश्किल 24 मंदिर बचे हैँ।


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