किडनी ट्रांसप्लांट में लापरवाही से गई जान

Update: 2023-01-06 10:54 GMT

भोपाल न्यूज़: किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की मौत के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर को आदेश सुनाया है कि वे परिजनों को उपचार के खर्च के साथ मानसिक संत्रास की राशि का भुगतान करें. आयोग ने यह माना कि अगर ट्रांसप्लांटेशन के दौरान सावधानी बरती जाती तो मरीज की जान बचाई जा सकती थी. मामला गुलमोहर कॉलोनी निवासी अशोक अहलूवालिया के किडनी ट्रांसप्लांट का है. वे हेमोडायलिसिस से पीड़ित थे. सितंबर 2012 में उनका चोइथराम अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट कराया गया था. ट्रांसप्लांटेशन को डॉक्टरों ने सफल बताया, लेकिन दो दिन बाद उनकी मौत हो गई. अहलूवालिया की पत्नी वंदना व बेटे अभिषेक और अभिनव ने चोइथराम अस्पताल और नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रदीप सालगिया व अन्य पर जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद लगाया. इसमें बताया गया था कि कि ट्रांसप्लांट के दौरान मरीज की डायबीटिज 400 थी. अस्पताल ने लापरवाही की.

सावधानी रखते तो बच जाती जान:

आयोग ने माना, ट्रांसप्लांट में सावधानी बरती जाती तो जान बचाई जा सकती थी. आयोग ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर को आदेश दिया कि वे मृतक की पत्नी को ट्रांसप्लांट का खर्च 4.14 लाख, 2 लाख और परिवाद व्यय 10 हजार रुपए दे.

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