मुरैना व ग्वालियर की तरह अब शहर की तिल्ली की गजक की बढ़ रही मांग

Update: 2023-01-04 06:57 GMT

भोपाल न्यूज़: यूं तो मकर संक्रांति पर घर-घर तिल-गुड़ लड्डुओं को बनाया जाता है,लेकिन ठंड के मौसम में तिल व गुड़ की गजक व मिठाइयों की डिमांड इतनी बढ़ चुकी है कि मिठाइयों की दुकानों की जगह यह लेती जा रही है. भवानी चौक सोमवारा से मोती मस्जिद कि ओर जाने वाले मार्ग पर तो इसका पूरा मार्केट ही बन गया है. जहां 220 रुपए से 600 रुपए तक की गजक व मिठाइयां बनाकर बेची जा रही है. दुकानदारों का कहना है कि त्योहार के अलावा मावे की मिठाइयों की जगह तिल्ली की मिठाइयां पसंद की जा रही है. पहले इसकी गजक ग्वालियर व मुरैना से लोग लाते थे. वहां के कुछ लोगों ने शहर में दुकानें भी खोली थी,लेकिन आज उससे भी अधिक वैरायटी की मिठाईयां यहां बिकने लगी है. दूर-दूर से लोग यहां खरीदारी के लिए आने भी लगे हैं. गौरतलब है कि मिलावटी मावे की धरपकड़ के चलते लोगों का विश्वास उसकी बनी मिठाईयों से उठ गया है. जिसके चलते शहर में मावे की मिठाईयों की दुकानें 70 फीसदी बंद हो चुकी है. उसके विकल्प के रूप में लोग सोन पपड़ी का उपयोग करने लगे है,लेकिन ठंड में तिल्ली की गजक से लेकर अन्य मिष्ठान की बिक्री इतनी बढ़ गई है कि कुछ ही सालों में सैकड़ों दुकानें इसकी खुल चुकी है. कुछ जगह तो इसका पूरा मार्केट ही विकसित होता जा रहा है.चौराहों पर ग्रुप बनाकर लगने लगे ठेले

जिस तरह से गर्मी के मौसम में प्रत्येक चौराहे व सार्वजनिक स्थानों पर आइसक्रीम के ठेले नजर आते थे. उसी तर्ज पर ठंड में उनकी जगह तिल्ली की गजक के ठेले नजर आने लगे है. बताया गया कि कुछ लोग तो किराए का मकान, हॉल लेकर उसमें एक उद्योग की तरह इसे बना रहे हैं. दस से बीस ठेलों पर गजक बेचने के लिए कमीशन पर लड़के रखे हुए है. ठेले पर मुरैना की गजक के नाम से बेचने वाले ठेले वाले ने बताया हमारे जैसे सैकड़ों लोग कमीशन पर ठेले लगा रहे है.

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