सतना। सतना जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर उचेहरा तहसील के अंतर्गत छोटे से गांव पिथौराबाद में रहने वाले 76 वर्षीय किसान बाबूलाल दाहिया लोगों के लिए एक मिसाल हैं. बाबूलाल दाहिया वह व्यक्ति हैं, जिन्हें पद्मश्री अवार्ड राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हाथों नवाजा गया है. यह अवार्ड उनके कार्यों की वजह से मिला. बाबूलाल दाहिया ने 200 प्रकार के धान के बीज सहित अनेक प्रकार के बीजों का संग्रह किया है.
2 एकड़ में 200 प्रकार धान के बीज बोते हैं : किसान बाबूलाल दाहिया हर वर्ष अपने 2 एकड़ से अधिक के खेतों में 200 प्रकार की धान के बीज बोते हैं. इसके अलावा वह अनेक प्रकार के बीज का संग्रहण करके रखते हैं. बाबूलाल दाहियाधान के देशी बीजों की इकट्ठा करने के लिए 40 जिलों की यात्रा कर चुके हैं. वह किसान के साथ ही लेखक भी हैं. वह कहानी, लेख, मुहावरे, कविताएं, लोकोक्तियां लिखते हैं. बाबूलाल दाहिया बताते हैं कि वह देशी बीजों के बारे में एवं उनसे जुड़ी हर बातों का उल्लेख अपनी कहानी -कविताओं में करते हैं. वह बताते हैं कि उन्हें बचपन से खेती करने का शौक था. वह अपने पिता के साथ गर्मी की छुट्टियों में खेती के कार्यों में सहयोग करते थे.
देशी बीजों में हजारों रोग सहने की क्षमता : बाबूलाल दाहिया के अनुसार देशी बीजों की खेती करना उनके अंदर बस गया है. देशी बीजों में हजारों प्रकार के रोग सहने की क्षमता होती है. धान के बीज कम पानी में भी बराबर पैदावार होते हैं. इनमें पानी की भी बचत होती है. वह बताते हैं कि 60 के दशक में पूरे देश में धान की 1 लाख से अधिक देशी बीजों की प्रजातियां पाई जाती थीं. आज पूरे देश में करीब 3 हजार धान के बीजों की प्रजातियां बची हैं.